Doctors day : डॉक्टर और मरीज के बीच विश्वास में न आए कमी
नेशनल डॉक्टर्स डे का इतिहासभारत में प्रथम बार नेशनल डॉक्टर्स डे 1991 में पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. विधान चन्द्र राय की स्मृति में मनाया गया था। उनका जन्म एक जुलाई 1882 को हुआ था तथा उनका निधन भी एक जुलाई को ही वर्ष 1962 में हुआ। इस तरह उनकी जन्मतिथि तथा मृत्यु की तिथि दोनों एक ही दिन आती हैं।
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समाज की सेवा के लिए राय को मिला था भारत रत्न अवार्डडॉ. विधान चन्द्र राय ने समाज के वंचित हितों के लिए महत्वपूर्ण कार्य किए थे। उन्होंने देश के कई महत्वपूर्ण मेडिकल इंस्टीट्यूशन्स (जैसे चितरंजन सेवा सदन, कमला नेहरू मेमोरियल हॉस्पिटल, चितरंजन कैंसर हॉस्पिटल तथा विक्टोरिया इंस्टीट्यूशन) की स्थापना में अहम भूमिका निभाई थी। उन्हें देश का पहला मेडिकल कंसल्टेंट भी माना जाता है। उन्हें कई मायनों में अपने समकालीन ब्रिटिश मेडिकल प्रोफेशनल्स से बेहतर माना जाता था। देश में चिकित्सा सेवाओं के सुधार व उनके सामाजिक कार्यों में योगदान को देखते हुए उन्हें वर्ष 1961 में देश के सर्वोच्च सम्मान ‘भारत रत्न’ से सम्मानित किया गया।
वर्ष 2020 की शुरूआत में पूरे विश्व में कोरोना फैलना शुरू हुआ, तब किसी ने नहीं सोचा था कि तबाही इतनी ज्यादा होगी परन्तु देश और दुनियाभर में डॉक्टर्स तथा मेडिकल स्टॉफ ने एक सैनिक की तरह अपने कर्तव्य को सर्वोपरि रखते हुए संक्रमित मरीजों की देखभाल की, उनका इलाज किया। इस बीमारी से संक्रमित होने के कारण बहुत से डॉक्टर्स को अपनी जान से भी हाथ धोना पड़ा। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन द्वारा दी गई एक जानकारी के अनुसार इस वर्ष अब तक 770 से अधिक डॉक्टर कोरोना की दूसरी लहर का शिकार बन चुके हैं। इनमें सर्वाधिक संख्या बिहार (115), दिल्ली (109) तथा उत्तरप्रदेश (79) के डॉक्टर्स की रही।
कोरोना महामारी के इस प्रकोप के बीच देश के लाखों-करोड़ों लोगों की जान बचाने वाले डॉक्टर्स को आज प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी दोपहर तीन बजे संबोधित करेंगे। इस कार्यक्रम का आयोजन इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) द्वारा वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए किया जा रहा है।