बैठक में शामिल होने के लिए प्रधानमंत्री की ओर से जब जम्मू-कश्मीर के तमाम नेताओं को आमंत्रण भेजा गया, तब शुरुआती दौर में जो खबरें सामने आईं, उसके तहत महबूबा मुफ्ती और फारुख अब्दुल्ला इस बैठक में हिस्सा नहीं लेंगे। मगर गत मंगलवार को फारुख अब्दुल्ला के नेतृत्व में गुपकार अलायंस की जो बैठक हुई, उसके बाद यह स्पष्ट कर दिया गया कि प्रधामंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह समेत राज्य के 8 विपक्षी दलों के नेता भी इस बैठक में मौजूद रहेंगे।
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बैठक से पहले यह भ्रम फैलाया जा रहा है कि इसमें केंद्र सरकार जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा वापस कर सकती है। दूसरी ओर, राजनीतिक विश्लेषक इससे इत्तेफाक नहीं रखते। उनकी दलील है कि केंद्र सरकार जम्मू-कश्मीर में लोकतांत्रिक प्रक्रिया को तेज करने में जुटी है। यह तभी संभव हो पाएगा जब जम्मू-कश्मीर की तमाम दूसरी पार्टियां इस पर गंभीरता से आगे बढ़ेगी। पूर्ण राज्य का दर्जा हासिल करने में भी तभी मदद मिलेगी। चुनावों के जरिए लोकतांत्रिक व्यवस्था को मजबूत करने पर जोर देना होगा। राज्य में डीलिमिटेशन की प्रक्रिया को पूरा करना होगा। हालांकि, इसमें अभी समय लगेगा। सुप्रीम कोर्ट की पूर्व न्यायाधीश जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई के नेतृत्व में इस पर काम चल रहा है और इसे पूरा होने में अभी लंबा वक्त है।
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विश्लेषकों के अनुसार, पूर्ण राज्य का दर्जा वापस हासिल करने के लिए सबसे पहले प्रदेश का माहौल सुधारना होगा। इसे विकास के पथ पर ले जाना होगा। उद्योग-धंधे लगाने होंगे, जिससे लोगों के आय और जीवन स्तर में सुधार हो। इन सब पर काम तभी शुरू हो पाएगा, जब राज्य के राजनीतिक दलों के नेता मिल-बैठकर इस पर बात करेंगे और आगे का रास्ता सुझाएंगे।