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Kisan Andolan : सरकार से छह बार हुई बातचीत रही बेनतीजा, 10 पॉइंट्स में समझें 1 महीने में क्या-क्या हुआ

Kisan Andolan को पूरा हुआ एक महीने का वक्त
6 बार सरकार के साथ किसान संगठनों की बातचीत रही बेनतीजा
सर्दी के सितम से लेकर अन्नदाताओं की मौत तक नहीं डिगा पाया किसानों का हौसला

Dec 25, 2020 / 12:18 pm

धीरज शर्मा

Kisan Andolan

किसान आंदोलन में बेनतीजा रहा एक महीना

नई दिल्ली। तीन नए कृषि कानूनों ( Farm Law ) के खिलाफ शुरू हुए किसान आंदोलन ( Kisan Andolan ) को एक महीने का वक्त पूरा हो गया है। पिछले 30 दिन से किसान सड़कों पर ठंड और खुले आसमान के बीच अपनी मांगों को लेकर डंटे हुए हैं। सरकार से 6 बार बातचीत तो हुई लेकिन बेनतीजा रही।
दिल्ली की सीमाओं पर लगभग एक महीने से प्रदर्शन कर रहे किसान तीनों नए कृषि कानूनों को वापस लिए जाने की मांग पर अड़े हैं। 26 नवंबर से शुरू हुआ किसानों का प्रदर्शन लगातार आगे बढ़ता गया, सर्दी के सितम से लेकर किसानों की दर्दनाक मौत तक कोई भी दिक्कत अन्नादात के हौसले को डिगा नहीं पाई। आईए 10 पॉइंट्स में जानते हैं एक महीने में अब तक किसान आंदोलन में क्या-क्या हुआ
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1. नवंबर 26: अपनी मांगों को लेकर हजारों की तादाद में किसानों ने दिल्ली की ओर कूच किया। दिल्ली पुलिस ने बैरिकेड्स लगाकर किसानों को राजधानी में आने से रोक दिया। दिल्ली-गुरुग्राम एक्सप्रेस-वे पर यात्रियों को पूरे दिन भारी ट्रैफिक जाम का सामना करना पड़ा। इसके साथ ही मेट्रो सेवाएं भी कुछ वक्त के लिए निलंबित की गईं।
2. नवंबर 27: राजधानी दिल्ली की सीमाओं खास तौर पर सिंघु बॉर्डर पर बड़ी संख्या में पहुंचे किसानों पर ठंडे पानी की बौछारें बरसाई गईं। इसी दिन केंद्र सरकार ने प्रदर्शनकारी किसानों को बुराड़ी के निरंकारी ग्राउंड में विरोध प्रदर्शन करने की अनुमति दी। केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने चर्चा के लिए सभी किसानों को आमंत्रित भी किया। किसानों ने निरंकारी ग्राउंड जाने का ऑफर ठुकरा दिया।
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3. दिसंबर 1: सरकार से बातचीत के लिए किसान संगठनों ने विज्ञान भवन में 3 घंटे से बैठक की। जो बेनतीजा रही। किसान नेता सरदार चंदा सिंह ने कहा, कृषि मंत्री ने हमसे कहा कि एक छोटी कमेटी बना दो। सरकार उस छोटी कमेटी से इस सब विषयों पर बात करेगी। हालांकि किसानों ने इसे भी ठुकरा दिया।
4. दिसंबर 3: दोबारा किसान संगठनों और सरकार के बीच 7 घंटे बातचीत हुई। किसानों ने केंद्र सरकार के तीनों मंत्रियों से दोटूक कह दिया कि कृषि कानूनों की वापसी तक आंदोलन जारी रहेगा। सरकार ने किसानों को कुछ मांगों में नरम रुख भी दिखाया, लेकिन किसानों सभी मांगों पर अड़े रहे।
5. दिसंबर 8: किसानों ने भारत बंद बुलाया और इसका देशभर में मिलाजुला असर देखने को मिला। ये बंद सुबह 11 से दोपहर 3 बजे तक था। किसानों ने सड़कों को जाम कर दिया था, जिसके कारण हाई वे पर वाहन सवारों को वापस लौटना पड़ा। बॉर्डर पर भारी संख्या में पुलिस बल की मौजूदगी रही।
6. दिसंबर 12: पंजाब और हरियाणा समेत दिल्ली हाईवे पर स्थित सभी टोल प्लाजा पर किसानों ने कब्जा कर लिया। वहीं सिंघु, टिकरी, चिल्ला और गाजीपुर बॉर्डर पर अपना डेरा डाले रहे। वहीं कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने विपक्ष पर किसानों को गुमराह करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि विपक्षी पार्टियां किसानों को निर्णय तक नहीं पहुंचने देना चाहती है।
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7. दिसंबर 15: पीएम मोदी ने विपक्ष पर तीखा हमला बोला और किसानों को गुमराह करने वाला बयान दिया। पीएम मोदी ने किसानों के प्रति अपनी सरकार की प्रतिबद्धता को भी दोहराया। मोदी ने कहा कि किसानों के हितों की रक्षा करना उनकी सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है।
इस बीच एक 65 वर्षीय किसान ने सिंघू बॉर्डर प्रदर्शन स्थल पर आत्महत्या कर ली। किसान ने सुसाइड नोट में कहा कि वह किसानों की दुर्दशा को देख नहीं सकते।

8. दिसंबर 17: सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली की सीमाओं पर डटे आंदोलनकारी किसानों को हटाने की मांग वाली याचिका की सुनवाई की। कोर्ट ने अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल से पूछा कि क्या केंद्र सरकार हाल ही में लागू किए गए कृषि कानूनों पर तब तक रोक लगा सकती है, जब तक कि अदालत इस मामले की सुनवाई नहीं कर लेती?
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9. दिसंबर 20: आंदोलन के दौरान दम तोड़ने वाले 31 किसानों को बॉर्डर पर श्रद्धांजलि दी गई। प्रदर्शनकारी किसानों ने इन मृत्यु के लिए केंद्र को जिम्मेदार ठहराया है। किसानों ने अपने साथियों को शहीद का दर्जा दिया।
10. दिसंबर 23-24: 20 राज्यों के तीन लाख 13 हजार 363 किसानों ने नए कृषि कानूनों के समर्थन में सरकार के पास अपने हस्ताक्षर के साथ एक पत्र भेजा। केंद्रीय मंत्री तोमर ने कहा कि लंबे समय से देश के कृषि क्षेत्र में इन सुधारों की जरूरत महसूस की जा रही थी। हम बातचीत के लिए हमेशा तैयार हैं।
वहीं प्रियंका गांधी के नेतृत्व में विपक्ष ने विजय चौक से राष्ट्रपति भवन तक किसानों के समर्थन में मार्च निकालने की कोशिश की, लेकिन दिल्ली पुलिस ने अनुमति नहीं दी और कई नेताओं को हिरासत में ले लिया।
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