दरअसल, मामला बेंगलुरु का है, जहां हनुमान जी की एक मूर्ति को आचार संहिता की वजह से 15 घंटे तक सड़क के बीच में ही रोके रखा। जानकारी के मुताबिक, कर्नाटक पुलिस ने हनुमान जी की मूर्ति को राज्य में आचार संहिता लागू होने की वजह से प्रदेश की सीमा में नहीं घुसने दिया। पुलिसवालों ने मूर्ति को रास्ते में रोके रखा। कई घंटों के बाद जाकर जब चुनाव आयोग के अधिकारियों ने इस मामले में हस्तक्षेप किया तो तब जाकर ये मामले सुलझा और मूर्ति को प्रदेश में दाखिल किया गया।
हनुमान जी की 62 फुट लंबी और 750 टन वजनी प्रतिमा बनवाने वाली श्री राम चैतन्य वर्धिनी ट्रस्ट के ट्रस्टी मुनीराजू के अनुसार आधी बनी मूर्ति पूर्वी बेंगलुरु के कोलार से कचाराकनाहल्ली की तरफ जा रही थी। इसी दौरान सोमवार की रात में प्रतिमा को पुलिस ने एनएच-48 के पास रोक लिया। पुलिस ने प्रदेश में जारी चुनावी आचार संहिता का हवाला देते हुए प्रतिमा को रास्ते में ही रोक लिया। मीडिया रिपोर्टस के मुताबिक, मूर्ति को राज्य की सीमा में दाखिल करने की इजाजत मंदिर ट्रस्ट की तरफ से ले ली गई थी, लेकिन इसके बावजूद भी पुलिसवालों ने मूर्ति को नहीं जाने दिया। तमाम कोशिशों के बाद अंत में चुनाव आयोग के हस्तक्षेप के बाद इस मूर्ति को मंगलवार की दोपहर में जाने दिया गया।
हनुमान जी की मूर्ति को राज्य में आने से रोके जाने पर लोगों का गुस्सा उफान पर पहुंच गया। नाराज लोगों ने नैशनल हाइवे पर कई घंटो तक जाम की स्थिति बनी रही। हालांकि बेंगलुरु ट्रैफिक पुलिस अधिकारी के अनुसार यह मामला उनके न्यायक्षेत्र से बाहर का था।