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जस्टिस के. एम जोसेफ को सुप्रीम कोर्ट ना भेजे जाने के पीछे केंद्र सरकार ने दिए ये तर्क

केंद्र सरकार ने के. एम जोसेफ के नाम को मंजूरी ना दिए जाने के पीछे सबसे बड़ा तर्क उनकी वरिष्ठता को लेकर दिया है। हाईकोर्ट के अभी 11 जज उनसे सीनियर हैं।

Apr 26, 2018 / 04:04 pm

Kapil Tiwari

Justice K.M Joseph

Justice K.M Joseph

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश की नियुक्ति के लिए उत्तराखंड हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के.एम जोसेफ के नाम को मंजूरी ना मिलने को लेकर कांग्रेस और बीजेपी अब आमने-सामने आ गए हैं। इस मामले को लेकर केंद्र की मोदी सरकार और कांग्रेस के बीच सियासी बयानबाजी का दौर शुरू हो गया है। वहीं केंद्र सरकार की तरफ से सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के लिए के.एम जोसेफ के नाम को मंजूरी ना दिए जाने के पीछे कुछ तर्क दिए हैं।
– सरकार की तरफ से कहा गया है कि सबसे पहले तो जस्टिस जोसेफ को सुप्रीम कोर्ट भेजने की राह में उनकी वरिष्ठता ने रूकावट डाली। सरकार ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट ने जो कोलेजियम सिस्टम के आधार पर जस्टिस के. एम. जोसेफ की नियुक्ति करने को कहा है वह संभव नहीं है। वरिष्ठता के आधार पर सरकार की तरफ से कहा गया है कि जस्टिस के. एम. जोसेफ का नंबर 42वां है। अभी भी हाईकोर्ट के करीब 11 जज उनसे सीनियर हैं।
– सरकार ने तर्क दिया है कि कलकत्ता, छत्तीसगढ़, गुजरात, राजस्थान, झारखंड, जम्मू-कश्मीर, उत्तराखंड और कई हाईकोर्ट के अलावा सिक्किम, मणिपुर, मेघालय के प्रतिनिधि अभी सुप्रीम कोर्ट में नहीं है। ऐसे में उनसे पहले के सीनियर जजों को प्राथमिकता न देना गलत होगा।
– आपको बता दें कि जस्टिस के. एम. जोसेफ केरल से आते हैं, अभी केरल के दो हाईकोर्ट जज सुप्रीम कोर्ट में हैं। पिछले काफी समय से सुप्रीम कोर्ट में SC/ST का कोई प्रतिनिधित्व नहीं है। सरकार की तरफ से कहा गया है कि कोलेजियम सिस्टम सुप्रीम कोर्ट का ही एक सिस्टम है। अगर केरल के ही एक और हाईकोर्ट जज की नियुक्ति की जाती है तो यह सही नहीं होगा।

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