साक्षात्कार के दौरान जब जावेद अख्तर से पूछा गया कि क्या भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी फासीवादी है? इस पर बात करते हुए जावेद ने कहा कि बेशक वो हैं। मेरा मतलब है कि फासीवादी लोगों के सिर पर सींग थोड़े न होते हैं। फासीवाद एक विचार है। एक ऐसा विचार जिसमें लोग अपने आपको किसी समुदाय से श्रेष्ठ समझते हैं और अपनी सारी परेशानियों की जड़ उन दूसरे समुदाय के लोगों को मानते हैं। जब आप एक खास समुदाय के लोगों से नफरत करने लगते हैं। आप फासीवादी हो जाते हैं।
Nirbhaya Case: दोषी विनय शर्मा की याचिका पर आज आ सकता है सुप्रीम कोर्ट का फैसला इसी साक्षात्कार में फिल्म डायरेक्टर महेश भट्ट से जब ये पूछा गया कि क्या भारत देश वाकई इस्लामोफोबिक है जैसा कि दुनिया भर के मुस्लिमों द्वारा ऐसा कहा जा रहा है? इस पर उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि इस्लामोफोबिया 9/11 हमलों के बाद काफी तेज हुआ है। ये फोबिया कहीं न कहीं निर्मित भी किया गया है । ऐसा तो नहीं है कि देश में कोई आम इंसान मुस्लिमों से इतना डरता है। हम सभी लंबे समय से साथ रह रहे हैं।
उन्होंने आगे कहा कि मेरे कहने का मतलब है कि उस तरह के डर को क्राफ्ट किया जा रहा है, लगातार कोशिशें की जा रही हैं कि लोगों में मुस्लिमों को लेकर डर बैठाया जा सके। रोज-रोज मीडिया के कुछ खास चैनलों द्वारा यह डर फैलाया जा रहा है और मुसलमानों से नफरत करना ही बीजेपी की लाइफलाइन है।
जम्मू-कश्मीरः अनुच्छेद 370 हटने के बाद पहला पंचायत चुनाव, होगा बैलेट बाॅक्स का इस्तेमाल बता दें कि 1940 के दशक के दौर में जर्मनी के तानाशाह हिटलर और इटली के तानाशाह मुसोलिनी की विचारधारा को फासीवाद माना जाता था। डॉ. लॉरेंस ब्रिट ने फासीवादी शासकों जैसे कि हिटलर और मुसोलिनी के शासन के विषय पर रिसर्च की थी और इस पर एक रिपोर्ट तैयार की थी।
उन्होंने इस रिपोर्ट में बताया था कि फासीवाद के शुरुआती लक्षण कैसे होते हैं। भारत में कई विशेषज्ञ ऐसे हैं जो मानते हैं कि भारत फासीवादी स्टेट बनने की दिशा में अपने कदम बढ़ा रहा है। बता दें कि सीएए-एनआरसी के खिलाफ महेश भट्ट और जावेद अख्तर सहित कई बॉलीवुड हस्तियां पहले ही अपना विरोध दर्ज करा चुके हैं।