द इकोनॉमिस्ट के कवर पेज पर ‘इनटॉलरेंट इंडिया’, पीएम मोदी को बताया सबसे बड़े लोकतंत्र पर खतरा
दुनिया की प्रमुख समाचार पत्रिका ने सीएए-एनआरसी पर की टिप्पणी।
बताया कि भारत के 20 करोड़ मुसलमानों को हिंदू राष्ट्र बनने का डर।
चेतावनी दी गई कि एक समूह का ‘निरंतर उत्पीड़न’ सभी के लिए खतरा।
नई दिल्ली। ‘द इकोनॉमिस्ट’ ने अपनी कवर स्टोरी में शुक्रवार को कहा है कि नरेंद्र मोदी ने दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में विभाजन को बढ़ावा देने का काम किया है। दुनिया की प्रमुख समाचार पत्रिकाओं में से एक ‘द इकोनॉमिस्ट’ (The Economist) ने अपनी कवर स्टोरी का शीर्षक ‘असहिष्णु भारत’ दिया है।
‘द इकोनॉमिस्ट’ ने कहा है, “नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) की सांप्रदायिकता भारत के धर्मनिरपेक्ष लोकतंत्र को नष्ट कर रही है।” ऐसा नागरिकता संशोधन अधिनियम के क्रियान्वयन के संदर्भ में कहा गया है।
The Economist के लेख में चेतावनी दी गई है कि एक समूह का ‘निरंतर उत्पीड़न’ सभी के लिए खतरा है और राजनीतिक प्रणाली को ‘खतरे में’ डालता है। ‘द इकोनॉमिस्ट’ ने नागरिकता संशोधन अधिनियम को राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार का सबसे महत्वाकांक्षी कदम बताया है।
इस मैग्जीन ने कहा है कि सरकार की नीतियों ने नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) को चुनाव जीतने में मदद दी है। लेकिन देश के लिए यह राजनीतिक जहर साबित हुआ है। लेख में चेतावनी दी गई है कि सीएए के कार्यान्वयन सहित मोदी की पहलों से रक्तपात हो सकता है।
मैग्जीन का कहना है कि प्रस्तावित राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर से भगवा पार्टी को अपने विभाजनकारी एजेंडे को आगे बढ़ाने में मदद मिलेगी। मैग्जीन ने दावा किया है कि इस प्रक्रिया में मोदी खुद को देश की 80 फीसदी हिंदू आबादी के रक्षक के रूप में आगे बढ़ाएंगे।