गूगल मैप जैसी सेवा होगी देसी
बेहद तेजी से लोकप्रिय हो रही गूगल मैप जैसी सेवाएं जिस सिस्टम पर चलती हैं उसे ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम यानी जीपीएस कहते हैं। यह अमरीकी सरकार की ओर से संचालित की जाती है। देसी सिस्टम तैयार हो जाने के बाद निर्भरता दूर हो जाएगी।
क्यों लगेगा वक्त
जिन उपकरणों में इस सेवा का उपयोग होना है पहले उन्हें इस सेवा के लिए सक्षम बनाना होगा। अभी भारत में उपयोग हो रहे उपकरण सिर्फ जीपीएस सक्षम हैं। अगर इन पर नैविक सिस्टम चलाना है तो इसके लिए इनमें हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर दोनों में ही बदलाव करना होगा। असली समस्या यह है कि इनका उपयोग करने वाले लोग और बनाने वाली कंपनियां पहले इंतजार करेंगे नई व्यवस्था पर आधारित सेवाएं अधिक से अधिक उपलब्ध हों। लेकिन ऐसा लग नहीं रहा कि गूगल जैसी कंपनियां अमेरिकी जीपीएस को टक्कर देने वाली भारतीय तकनीक को आसानी से अपनाएगी। ना ही इसे चुुनौती देने वाली कोई भारतीय कंपनी दिखाई दे रही है। वहीं केंद्रीय अंतरिक्ष विभाग के राज्यमंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा कि अंतरिक्ष और जमीन पर होने वाले जरूरी काम कर लिए गए हैं। साथ ही विभिन्न एप्लीकेशन में इसके उपयोग को ले कर डेमो भी किए जा रहे हैं। लेकिन बाजार में इसके पूरी तरह ऑपरेशनल होने में अभी कुछ वर्षों का समय और लगेगा।