चीन से तनाव के बीच अमरीका का बड़ा कदम, भारत को घातक फाइटर जेट देने के लिए बिल पेश भारत-चीन सीमा पर इन विमानों की तैनाती के साथ ही हर हालात से निपटने के लिए तैयार अपाचे हेलीकॉप्टर ने भी यहां पर अपना जौहर दिखाया। मई में शुरू हुए चीनी सेना के जमावड़े के बाद से पूर्वी लद्दाख में अब तक अमरीकी अपाचे हेलीकॉप्टर और भारी वजन ढोने वाले चिनूक हेलीकॉप्टर ( apache and Chinook helicopters ) महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।
भारत के लिए सैन्य रूप से पुख्ता इस एयरबेस में वायुसेना की गतिविधियां काफी तेज हो चुकी हैं। जबकि दोनों देशों की सीमा से लगा यह एयरबेस, वास्तविक नियंत्रण रेखा पर भारत की लड़ाई की तैयारियों को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर रहा है।
2100 चीनी फाइटर के मुकाबले भारत के पास 850 लड़ाकू विमान, फिर भी Air War में IAF है मजबूत अग्रिम हवाई क्षेत्र के महत्व के बारे में पूछे जाने पर भारतीय वायुसेना के एक फ़्लाइट लेफ्टिनेंट ने बताया कि इस क्षेत्र में ऑपरेशंस शुरू करने में यह एयरबेस बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह सभी आकस्मिकताओं और इस क्षेत्र में किए जाने वाले सभी मुकाबलों और सपोर्ट ऑपरेशंस के लिए पूरी तरह तैयार है।
वहीं, एयरबेस में तैयारियों को सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले एक विंग कमांडर ने बताया भारतीय वायु सेना ऑपरेशंस के लिए पूरी तरह से तैयार है और सभी चुनौतियों का सामना करने के लिए पूरी तरह रेडी है। युद्ध के दौरान लड़ने में वायु शक्ति बहुत शक्तिशाली पहलू है और आज ज्यादा प्रासंगिक है।
यह पूछे जाने पर कि गलवान घाटी संघर्ष के बाद तनाव के मद्देनजर वायु सेना खुद को कैसे तैयार कर रही थी उन्होंने कहा वायु सेना इस क्षेत्र में मुकाबले और सपोर्ट दोनों ही मामलों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। सभी चुनौतियों का सामना करने के लिए हमारे पास सैनिकों और उपकरणों के संदर्भ में सभी संसाधन हैं।
विंग कमांडर ने आगे कहा कि भारतीय वायु सेना सभी परिचालन कार्यों को पूरा करने और सभी सैन्य अभियानों के लिए अपेक्षित सहायता प्रदान करने के सभी पहलुओं में तैयार है। भारी वजन उठाने में सक्षण चिनूक हेलीकॉप्टरों के साथ-साथ बेस पर तैनात Mi-17 V5 हेलीकॉप्टरों के रूसी बेड़े सेना और आईटीबीपी के सैनिकों को अग्रिम स्थानों पर ले जाने के लिए नियमित रूप से जुटे हुए हैं। एक लंबी तैयारी के लिए चिनूक हेलीकॉप्टरों को अग्रिम चौकियों तक महत्वपूर्ण उपकरणों को पहुंचाने के लिए लोड किया जा सकता है क्योंकि चीन ने एलएसी के साथ इस क्षेत्र में अपनी तैनाती मजबूत की है।
बीते 15 जून को भारतीय-चीनी सैनिकों के बीच गलवान घाटी ( india china standoff galwan valley ) में संघर्ष के बाद जब चीन ने तेजी से निर्माण शुरू कर दिया था, तब लद्दाख क्षेत्र और चीन सीमा के साथ अन्य स्थानों पर हवाई गतिविधियां तब बड़े पैमाने पर शुरू हो गई थीं।