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लद्दाख में जारी गतिरोध के बीच प्रधानमंत्री मोदी ने यह दौरा हिंसक संघर्ष के बमुश्किल 18 दिन बाद किया है। सूत्रों ने बताया कि मोदी आज लद्दाख पहुंचे। समुद्र तल से 11 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित एक दुर्गम इलाके नीमू में उन्हें सेना, वायु सेना और भारत-तिब्बत सीमा पुलिस द्वारा इस मामले को लेकर सारी जानकारियां दी गईं। यह इलाका सिंधु के तट पर जांस्कर रेंज से घिरा हुआ है।प्रधानमंत्री, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ बिपिन रावत और सेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे लेह के सैन्य अस्पताल में घायल सैनिकों के साथ बातचीत करेंगे माना जा रहा है कि प्रधानमंत्री मोदी ने लेह पहुंच कर चीन को करारा जवाब दिया है।
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प्रधानमंत्री मोदी यहां सीडीएस जनरल विपिन रावत के साथ मिलकर पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के खिलाफ तीनों सेवाओं की तैयारियों की समीक्षा कर सकते हैं। आपको बता दें कि 15 जून की रात गलवान घाटी में चीनी सैनिकों के साथ संघर्ष में हमारे 20 जवान शहीद हो गए थे। हालांकि लगभग इतना नहीं ही नुकसान चीन को भी उठाना पड़ा था। इस हमले के दो दिन बाद 17 जून को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि गलवान घाटी में लड़ाई के दौरान शहीद हुए 20 सैनिकों का बलिदान “व्यर्थ नहीं जाएगा।
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उन्होंने यह भी कहा था कि भारत शांति चाहता है लेकिन उकसाए जाने पर वह “मुंहतोड़ जबाव” देगा। मोदी ने कहा था कि भारत की अखंडता और संप्रभुता हमारे लिए सर्वोच्च है और कोई भी हमें इसका बचाव करने से नहीं रोक सकता है। किसी को भी इस बारे में कोई संदेह नहीं होना चाहिए। भारतीय सैनिक मारते मारते मरे हैं।