भारत के दवा महानियंत्रक वीजी सोमानी ने बताया कि सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया और भारत बायोटेक की वैक्सीन को दो से आठ डिग्री तापमान पर रखा जा सकता है। दोनों वैक्सीन को आपातकालीन स्थिति में प्रतिबंधित उपयोग के लिए अनुमति दी गई है। आईए जानते हैं दोनों वैक्सीन के बीच अंतर, कीमत और असर से जुड़ी जानकारी।
दो महीने से लापता है दुनिया का दिग्गज अरबपति, राष्ट्रपति की आलोचना पड़ी महंगी WHO ने भी वैक्सीन पर भारतीय वैज्ञानिकों की कामयाबी का स्वागत किया है। WHO ने बयान जारी कर कहा कि इससे दक्षिण पूर्व एशिया में महामारी पर लगाम लगाने में सफलता मिलेगी।
दोनों की तकनीक अलग-अलग
भारत बायोटेक की ‘कोवैक्सीन’ और सीरम इंस्टीट्यूट की ‘कोविशील्ड’ वैक्सीन बनाने की तकनीक पूरी तरह अलग है। ‘कोवैक्सीन’ को कोविड-19 को निष्क्रिय करके तैयार किया गया है। आईसीएमआर ने भारत बायोटेक को जिंदा वायरस प्रदान दिया था। इस वायरस को निष्क्रिय करके भारत बायोटेक ने वैक्सीन तैयार की है।
जबकि ‘कोविशील्ड’ वैक्सीन को एडिनोवायरस को निष्क्रिय करके विकसित किया गया है। पहले चिंपैजी में साधारण जुकाम करने वाले निष्क्रिय एडिनोवायरस के ऊपर SARS-CoV-2 की स्पाइन प्रोटीन का जेनेटिक मेटेरियल लगाकर तैयार किया गया है।
कीमतों में अंतर
कोवैक्सीन की कीमत 100 रुपये से भी कम हो सकती है। हालांकि अब तक पुष्टि नहीं हुई है। वैक्सीन के निर्माण में भारत बायोटेक ने करीब 350 से 400 करोड़ रुपये खर्च किए हैं।
वहीं कोविशील्ड वैक्सीन की बात करें तो इसकी कीमत 500 से 600 रुपये की बीच हो सकती है। हालांकि 100 मिलियन तक कंपनी ने सरकार को 200 रुपए की कीमत बताई है। इसके बाद इसमें बढ़ोतरी होगी।
आपको बता दें कि दोनों ही वैक्सीन को 2 डिग्री सेल्सियस से लेकर 8 डिग्री सेल्सियस तापमान में रखा जा सकता है। कौनसी वैक्सीन ज्यादा असरदार
सीरम इंस्टीट्यूट की ‘कोविशील्ड’ को ट्रायल में 70.4 फीसदी असरदार पाया गया है। जबकि भारत बायोटेक की कोवैक्सीन को ट्रायल में 100 फीसदी प्रभावी माना गया है। हालांकि दोनों ही वैक्सीन का अबी तीसरे चरण का ट्रायल जारी है।
कोविशील्ड और कोवैक्सीन के ट्रायल में अब तक क्रमश: 23,745 और 22,500 लोगस शामिल हो चुके हैं।
बंगाल की सीएम ममता बनर्जी की हत्या को लेकर बीजेपी सांसद का बड़ा बयान, कह दी इतनी बड़ी बात दोनों वैक्सीनों में ये कॉमन
वैसे तो दोनों ही वैक्सीनों का अपना-अपना असर और तकनीक है, लेकिन फिर भी दोनों के बीच एक समानता है। दरअसल ये दोनों ही वैक्सीन दो खुराक वाली हैं। यानी कोरोना को मात देने के लिए कोवैक्सीन और कोविशील्ड दोनों के दो-दो डोज लेने होंगे। इनके बीच चार हफ्ते या एक महीने का अंतर होना चाहिए।