इस मुलाकात से पहले चीन की तरफ से एक बयान भी आया है, जिसमें कहा गया है कि डोकलाम विवाद दोनों देशों के देशों के द्विपक्षीय संबंधों का एक ‘बड़ा इम्तिहान’ था और भविष्य में इस तरह की स्थिति को टालने के लिए इससे सबक सीखा जाना चाहिए। आज की जो बैठक है वो भारत-चीन सीमा वार्ता के 20वें दौर के तहत होगी। ये बैठक 2 दिन तक चलेगी। आपको बता दें कि अभी हाल ही में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने भी अपने चीनी समकक्ष वांग यी से बात की थी।
चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने मंगलवार को यहां कहा, विशेष प्रतिनिधियों की यह वार्ता 22 दिसंबर को नई दिल्ली में होगी। दोनों देशों के लिए इस वार्ता का खास महत्व है। डोकलाम में 73 दिन चली तनातनी के बाद इस वार्ता का यह पहला दौर है। सिक्किम क्षेत्र में डोकलाम गतिरोध 28 अगस्त को खत्म हुआ था। आपको बता दें कि चीन के साथ डोकलाम विवाद सुलझाने में भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल का योगदान काफी ज्यादा माना जाता है। अजित डोभाल 27 जुलाई को बीजिंग में चीन के स्टेट काउंसलर यांग जिएची से इस मुद्दे पर बात की थी। खबरों के मुताबिक, दोनों के बीच काफी सख्त लहजे में बातचीत हुई थी। यांग ने डोकलाम पर डोभाल से सीधा सवाल किया था कि क्या ये आपकी जगह है? इसका जवाब भी डोभाल ने अपने अंदाज में दिया कि क्या हर विवादित क्षेत्र चीन का हो जाता है?
आपको बता दें, इसी साल जून से लेकर अगस्त के अंतिम हफ्ते तक भारत-चीन बॉर्डर के डोकलाम इलाके में देनों देशों की सेनाओं के बीच तनातनी देखने को मिली थी। हालात तो दोनों देशों के बीच युद्ध तक पहुंच गए थे। ये विवाद सड़क बनाने को लेकर ही शुरू हुआ था। दरअसल भारतीय सेना के दल ने चीन के सैनिकों को इस इलाके में सड़क बनाने से रोका था। चीन का दावा है था कि वह अपने इलाके में सड़क निर्माण कर रहा है, जबकि इस इलाके को भारत के लिहास से ये इलाके काफी महत्वपूर्ण है।