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डॉक्टरों को बताते थे अपनी अंतिम इच्छा
गांधी अस्पताल (Gandhi Hospital) के अधीक्षक एम राजा राव ने बताया कि कोरोना महामारी के दौरान इस अस्पताल में नोडल हेल्थकेयर फैसिलिटी थी। तेलंगाना में कोरोना का पहला मामला 2 मार्च, 2020 को इसी अस्पताल में लाया गया था। इस एक साल में यहां 2000 से अधिक संक्रमित मरीजों को दम तोड़ते देखा है।
मरने से पहले कई लोग डॉक्टरों को अपनी अंतिम इच्छा बताते थे। जिनकी इच्छा पूरी की जा सकती थी, उनकी डॉक्टर खुद मदद करते थे। लेकिन कई ऐसे भी मरीज थे जिनकी वे इच्छा पूरी नहीं कर पाए और उनकी मौत हो गई।
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कुछ शराब पीने की इच्छा जाहिर कर रहे थे
मीडिया से बात करते हुए राजा राव ने बताया कि एक मरीज ने डॉक्टर को बताया कि उसने 10 साल में संपत्ति को लेकर अपने भाई से कई बार झगड़ा किया है। मरने से पहले उसने कहा वो अपने आखिरी वक्त में भाई से माफी मांगना चाहता है औऱ अपने भाई को एक हिस्सा सौंपना चाहता है। इसके लिए डॉक्टर ने उसके भाई का पता लगवाने की कोशिश की लेकिन पता लगने से पहले मरीज की मौत हो गई।
गांधी अस्पताल के अन्य डॉक्टर ने बताया कि कोरोना से मरने वालों की अंतिम इच्छाएं संपत्ति, ईगो क्लैश और ‘गलत कार्यों’ को सुधारने व माफी मांगने को लेकर थीं। लेकिन कुछ लोग मरने से पहले अपना पसंदीदा भोजन और शराब का एक घूंट भी पीने की इच्छा जाहिर कर रहे थे।
अस्पलात में मनोरोग के सहायक प्रोफेसर अजय कुमार जोपका ने बताया कि एक मरीज मरने से पहले किसी भी हाल में विदेशी व्यंजन खाना चाहता था।रोगी का कहना था कि वह अस्पताल का सादा खाकर परेशान हो चुका है।
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आंखों में दिखता था अफसोस
वहीं अस्पताल में काम कर रहे एक अन्य डॉक्टर ने एक कपल के बारे में बताया जो आपस में लड़ कर कुछ दिनों से अलग रह रहे थे। दोनों अलग-अलग शहरों में आइसोलेश वार्डों में भर्ती थे। लेकिन मौत को पास आता देश युवक की अपने पार्टनर के लिए ऐसे तड़प रहा था जैसे मछली पानी के बिना।
उन्होंने कहा, वह हर हाल में उससे मिलना चाहता था। उसने रोते हुए अपने पार्टनर को खोजने और उसे अपनी भावनाएं बताने के लिए डॉक्टर से अनुरोध किया। लेकिन वो मिलने से पहले ही दुनिया छोड़ गया।