सरकार का कहना है कि अब तक राज्य में कुल ब्लैक फंगस के 927 मामले आ चुके हैं। इनमें से सबसे ज्यादा गुरूग्राम जिले में 242, रोहतक में 214 और हिसार में 211 मामले हैं।
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734 मरीज का इलाज चल रहा
राज्य सरकार की ओर से जारी बयान के अनुसार 31 मई तक हरियाणा के कई अस्पतालों में 734 मरीज का इलाज चल रहा है। इन मरीजों को सर्जरी और दवाइंयों की मदद से ठीक करने का प्रयास हो रहा है। अब तक 118 मरीज संक्रमण मुक्त हो चके हैं। वहीं 75 लोगों की मौत हो चुकी है।
गौरतलब है कि देश में कोरोना वायरस का कहर अभी भी कम नहीं हुआ है। इस बीच ब्लैक फंगस के मामले तेजी से बढ़ने के कारण नई मुसीबत खड़ी हो गई है। देश के कई हिस्सों में कोरोना वायरस से ठीक हुए लोगों में ब्लैक फंगस जैसी बीमारी की देखने को मिल रही है।
क्या है ब्लैक फंगस
ब्लैक फंगस को मेडिकल जगत में म्यूकॉरमायकोसिस के नाम से पहचाना जाता है। ये एक एक दुर्लभ व खतरनाक फंगल संक्रमण है। ब्लैक फंगस इंफेक्शन वातावरण, मिट्टी जैसी जगहों में मौजूद म्यूकॉर्मिसेट्स नामक सूक्ष्मजीवों के संपर्क में अपने पर होता है। इन सूक्ष्मजीवों के सांस द्वारा अंदर लेने के कारण ये बीमारी होती है। संक्रमण अक्सर शरीर में साइनस, फेफड़े, त्वचा और दिमाग पर हमला करता है।
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स्टेरॉयड भी इम्यून पर असर डालते हैं
विशेषज्ञों के अनुसार कोरोना वायरस से उबरने के बाद शरीर के इम्यून सिस्टम पर असर पड़ता है। इस दौरान महामारी में इलाज के लिए इस्तेेमाल की जाने वालीं दवाइयां और स्टेरॉयड भी इम्यून पर असर डालते हैं। इन प्रभावों के कारण कोरोना के मरीज का इम्यून सिस्टम बुरी तरह प्रभावित होता है। कोविड-19 के मरीज का इम्यून सिस्टम ब्लैक फंगस के कारण सूक्ष्मजीवों (म्यूकॉर्मिसेट्स) के खिलाफ लड़ नहीं पाता। इस कारण ज्यादातर कोविड से उबरे मरीजों को ब्लैक फंगस का खतरा बना हुआ है।