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देश में किस तरह जनता तक पहुंचेगी Corona Vaccine, जानें किन कंपनियों से है करार

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हरियाणा के स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने कोरोना का संभावित टीका लगवाया।
कई कंपनियों के साथ भारत सरकार का करार, भंडारण की सबसे बड़ी समस्या।

Nov 21, 2020 / 08:55 am

Mohit Saxena

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जल्द लोगों तक पहुंचेगी कोरोना वैक्सीन।

नई दिल्ली। भारत में जनता तक कोरोना वैैक्सीन के पहुंचने का फासला बहुत कम रह गया है। शुक्रवार को हरियाणा के स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने एक तरफ कोरोना का संभावित टीका लगवाया जो तीसरे स्टेज ट्रायल पर है, वहीं स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने एक दिन पहले वैक्सीन के दो से तीन महीने मे आने की जानकारी दी है। दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल इसके वितरण को लेकर अपनी मंशा बता चुके हैं। उनका कहना है कि वितरण के लिए कोई वीआईपी श्रेणी नहीं बननी चाहिए। ऐसे में ये मान लेना चाहिए कि देश में जल्द वैक्सीन को लगाने की कवायद शुरू होने वाली है।

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हेल्थ वकर्स को पहले दिए जाएंगे टीके

लगभग 135 करोड़ की जनसंख्या वाले देश में कोरोना वैक्सीन के वितरण को लेकर सरकार खाका बनाने में जुट गई है। स्वास्थ मंत्री हर्षवर्धन का कहना है कि सबसे पहले हेल्थ वकर्स को ये टीके दिए जाएंगे। इसके बाद 65 वर्ष से ज्यादा उम्र वाले लोगों को वैक्सीन के लिए वरीयता मिलेगी। बाद में 50 से 65 की उम्र वालों को कोरोना वैक्सीन उपलब्ध कराई जाएगी। दिल्ली के सीएम केजरीवाल का कहना है कि वैक्सीन को देने में किसी तरह का भेदभाव न हो। सबसे पहले ये बुजुर्गों को मिलनी चाहिए।
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सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया सबसे आगे

भारत में कोरोना वैक्सीन बनाने वालों में सबसे आगे सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया है। उसकी तरफ से कोरोना के टीके की कीमत बता दी गई है। संस्थान के अनुसार, कोरोना से बचाव के लिए एक डोज की कीमत 500 से 600 रुपये होगी। इसके बाद अमरीकी कंपनी मॉडर्ना के वैक्सीन ट्रायल के शुरुआती नतीजों के बाद दावा किया गया था कि महामारी के खिलाफ सुरक्षा देने वाली नई वैक्सीन 95 फीसदी तक कामयाब है।
वहीं कुछ दिन पहले दवा कंपनी फाइजर ने अपनी वैक्सीन के 90 फीसदी तक कामयाब होने की जानकारी दी थी। इसके साथ ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के कोरोना वैक्सीन ट्रायल में बुज़ुर्गों पर टीके के असरदार होने की बात कही गई थी।
भारत की जनसंख्या और वैक्सीन की डोज

सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया कहना है कि वो आज भी हर माह करीब छह से सात करोड़ वैक्सीन के डोज बनाने की स्थिति में है। संस्थान के मुताबिक,फरवरी 2021 तक उनकी क्षमता 10 करोड़ वैक्सीन डोज प्रति माह बनाने की हो जाएगी। भारत सरकार से सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के बीच किस तरह का करार है, इस पर अभी तक दोनों पक्षों ने साफ नहीं किया है।
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मगर सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के सीईओ अदार पूनावाला का कहना है कि ‘भारत सरकार ने जुलाई 2021 तक उनसे 100 मिलियन वैक्सीन डोज की माँग की है।’ सरकार का लक्ष्य है कि जुलाई 2021 तक 300 मिलियन वैक्सीन डोज जनता तक पहुंचाया जाएगा। हालांकि अभी ये जानकारी नहीं है कि सारे डोज भारत सरकार सीरम इंस्टीट्यूट से लेगी या कोई दूसरी व्यवस्था होगी।
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वैक्सीन के भंडारण को लेकर बड़ी समस्या

दवा कंपनियों ने टीका बनाने की चुनौती को काफी हद तक पार कर लिया है। मगर सबसे बड़ी समस्या इसके स्टोरेज को लेकर है। फाइजर की वैक्सीन सामान्य फ्रीजर में करीब 5 दिन तक ही ठीक रहती है। इसे लंबे समय तक स्टोर करने के लिए माइनस 70 डिग्री के तापमान की आवश्यकता होती है। वहीं मॉडर्ना की वैक्सीन 2 से 8 डिग्री सेल्सियस तापमान में 30 दिन तक ही सुरक्षित रख सकते हैं।
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अगर इसे छह माह तक स्टोर करना है तो माइनस 20 डिग्री के तापमान की आवश्यकता होती है। इसी तरह से सीरम इंस्टीट्यूट की कोविशील्ड वैक्सीन भी 2 से 8 डिग्री सेल्सियस तक के तापमान पर सुरक्षित स्टोर हो सकती है। भारत सरकार ने देश के कई शहरों में इसके भंडारण के इंतजाम करे हैं। खासकर छोटे शहरों तक वैक्सीन को पहुंचाने के लिए प्रशासन काम में लगा हुआ है।

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