मामले में सरकार का पक्ष रखते हुए सॉलीसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि श्रम निषेध और विनियमन कानून के मुताबिक 14 साल से कम उम्र के बच्चों के दही हांदी उत्सव होने पर रोक लगाई गई है। वहीं उन्होंने बताया कि सरकार ने दही हांडी उत्सव को एडवेंचर स्पोर्ट्स घोषित किया है। इसलिए भी बच्चों को इजाजत नहीं दी जा सकती।
जस्टिस गवई ने मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि हम राज्य सरकार की बात से सहमत हैं कि 14 साल से कम उम्र के बच्चे इस उत्सव में न शामिल हों। वहीं उन्होंने पिरामिड की ऊंचाई पर कहा कि यह राज्य की विधायिका के अधिकार है।
महाराष्ट्र में दही हांडी सबसे ज्यादा प्रसिद्ध उत्सव है। यह जन्माष्टमी के मौके पर होता है। इस दौरान ऊंचाई पर बंधे हांडी को मानव पिरामिड बनाकर तोड़ा जाता है। जो टीम ऐसा करने में कामयाब होता है उसे इनाम दिया जाता है। कई बार दही हांडी उत्सव के दौरान हादसे हो चुके हैं। जिसमें बच्चों को चोटे आई हैं। जिस पर चिंता जताते हुए सरकार ने कम बच्चों के शामिल नहीं होने रोक लगा दी थी।