नई दिल्ली। केंद्र सरकार ( Centre Govt ) ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ( Supreme Court ) को सूचित किया कि व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण यानी पीपीई किट ( PPE Kits ) का उपयोग करने वाले स्वास्थ्यकर्मी COVID-19 के कारण संक्रमण और किसी भी संभावित जोखिम से पर्याप्त रूप से सुरक्षित हैं। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ( MoHFW ) ने एक हलफनामे में कहा, कार्यस्थल पर पीपीई किट ( PPE Kits ) द्वारा सुरक्षित रूप से संरक्षित एक स्वास्थ्य कार्यकर्ता अपने परिवार या बच्चों को कोई अतिरिक्त जोखिम नहीं पहुंचाता है।
केंद्र सरकार ( Centre Govt ) ने कहा कि COVID-19 मामलों की संख्या लगातार बढ़ रही है और निकट भविष्य में मौजूदा अस्पतालों ( Hospitals ) के अलावा बड़ी संख्या में अस्थायी मेक-शिफ्ट अस्पतालों का निर्माण करना होगा। इसके अलावा रोगियों ( COVID-19 Patients in India ) की बढ़ती संख्या को देखते हुए भी केंद्र सरकार ( Centre Govt ) ने स्वास्थ्य कार्यबल को लेकर अपनी चिंता जाहिर की।
डॉक्टर आरुषि जैन द्वारा यह याचिका दायर की गई है, जिसमें कहा गया है कई जगह दो डॉक्टरों को एक कमरे में रखा गया है और वहां साझा टॉयलेट है, इससे संक्रमण ( coronavirus Infection ) का खतरा है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ( Supreme Court ) ने कहा कि हॉस्पिटल के नजदीक होटल या भवन में बंदोबस्त किया जाए।
जैन के वकील ने जोर देकर कहा कि केंद्र सरकार ( Centre Govt ) को इस व्यवस्था में बदलाव करना चाहिए और इसके बजाय यह सुनिश्चित करना चाहिए कि जहां सामाजिक दूरी संभव हो, वहां पर इंतजाम किए जाने चाहिए। जैन ने यह भी बताया कि COVID-19 रोगियों के उपचार में शामिल डॉक्टरों के लिए उचित पीपीई किट ( PPE Kits ) उपलब्ध नहीं हैं।
केंद्र सरकार ( Centre Govt ) ने कहा कि याचिकाकर्ता ने डॉक्टरों की ओर से पर्याप्त पीपीई किट ( PPE Kits ) का इस्तेमाल करने के बाद भी COVID-19 के लिए पॉजिटिव पाए जाने को लेकर कोई भी सबूत पेश नहीं किया है। केंद्र सरकार ( Centre Govt ) ने शीर्ष अदालत को सूचित किया कि याचिकाकर्ता द्वारा दिए गए सुझावों या शिकायतों पर संज्ञान लेने के लिए विशेषज्ञों ने मना कर दिया है।
हलफनामे में कहा गया है कि कोरोना ( Coronavirus ) और अस्पतालों के गैर-कोरोना क्षेत्रों में काम करने वाले स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के प्रबंधन के लिए स्वास्थ्य मंत्रालय ( MoHFW ) की 15 मई को दी गई सलाह सही दिशा में उठाया गया एक कदम है। स्वास्थ्य मंत्रालय ( MoHFW ) ने कहा कि याचिका प्रोटोकॉल को ध्यान में रखते हुए योग्य है, जो पहले से ही लागू हैं।
स्वास्थ्य मंत्रालय ( MoHFW ) ने जोर देकर कहा कि भारत के डब्ल्यूएचओ ( WHO ) का सदस्य होने के नाते, किसी भी राष्ट्रीय प्रोटोकॉल या दिशानिर्देशों को लागू करने से पहले डब्ल्यूएचओ से परामर्श करना अनिवार्य है।