13 साल की उम्र में हुआ था उपनयन संस्कार
गुरु नानक देव जी का जन्म कार्तिक मास की पूर्णिमा के दिन 1469 को राएभोए के तलवंडी नामक स्थान में, कल्याणचंद (मेहता कालू) नाम के एक किसान के घर हुआ। उनकी माता का नाम तृप्ता था। तलवंडी को ही अब नानक के नाम पर ननकाना साहब कहा जाता है, जो पाकिस्तान में है। 13 साल की उम्र में उनका उपनयन संस्कार हुआ। माना जाता है कि 16 वर्ष की आयु में उनका विवाह सुलखनी से हुआ। 1494 में श्रीचंद और लक्ष्मीचंद नाम के दो पुत्र भी इन्हें हुए। श्रीचंद साहिब जी ने ही उदासीन अखाड़े की स्थापना की थी। सिख धर्म के प्रथम गुरु गुरुनानक देवी जी के चार शिष्य थे। यह चारों ही हमेशा बाबाजी के साथ रहा करते थे।
गुरू नानक देव का जीवन और शिक्षाएं
गुरू नानक देव का जीवन और शिक्षाएं न केवल धर्म विशेष के लिए बल्की पूरी मानव जाति को सही दिशा दिखाती हैं। इसलिए ही उनके जन्म दिवस को प्रकाश पर्व के नाम से जाना जाता है। गुरू नानक देव जी का जन्म कार्तिक पूर्णिमा के दिन 1469 ई. में हुआ था। उनका जन्म स्थान वर्तमान में पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में तलवंडी नामक स्थान पर हुआ था। जहां पर आज ननकाना साहिब नाम का गुरू द्वारा है। गुरू नानक देव ने मूर्ति पूजा का विरोध करते हुए, एक निराकार ईश्वर की उपासना का संदेश दिया था। उन्होंने तात्कालिक समाज की बुराईयों और कुरीतियों को दूर करने के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया।
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नानकदेवजी के 10 सिद्धांत:—
1. परम-पिता परमेश्वर एक है।
2. हमेशा एक ईश्वर की साधना में मन लगाओ।
3. दुनिया की हर जगह और हर प्राणी में ईश्वर मौजूद हैं।
4. ईश्वर की भक्ति में लीन लोगों को किसी का डर नहीं सताता।
5. ईमानदारी और मेहनत से पेट भरना चाहिए।
6. बुरा कार्य करने के बारे में न सोचें और न ही किसी को सताएं।
7. हमेशा खुश रहना चाहिए, ईश्वर से सदा अपने लिए क्षमा याचना करें।
8. मेहनत और ईमानदारी की कमाई में से जरूरत मंद की सहायता करें।
9. सभी को समान नज़रिए से देखें, स्त्री-पुरुष समान हैं।
10. भोजन शरीर को जीवित रखने के लिए आवश्यक है। परंतु लोभ-लालच के लिए संग्रह करने की आदत बुरी है।