डीजी झा ने कहा कि पुलिस की नौकरी अन्य नौकरियों से अलग है अगर किसी को पगार की चिंता है तो वो पुलिस में न आए। उन्होंने साफ कहा कि पुलिस की साख पर बट्टा न लगे इसका ध्यान रखें।
झा ने सोशल मीडिया में कोई भी इस तरह की टिप्पणी पर सख्त कार्रवाई की बात भी कही है।
– नए नियमों के मुताबिक, पुलिसकर्मियों अधिकारियों को सोशल मीडिया पर किसी भी तरह की राजनीतिक टिप्पणी नहीं करनी है।
– इसमें कहा गया कि वे ऐसे किसी समूह या मंच का हिस्सा नहीं हो सकते जिसका गठन धर्म जाति, नस्ल या उपजाति के आंदोलन या इसे बढ़ावा देने के मकसद से किया गया है।
– खुफिया अधिकारियों को इससे छूट दी गई है, लेकिन इसके लिए उन्हें पहले अपने वरिष्ठ अधिकारियों से अनुमति लेनी होगी।
– आचार संहिता में कहा गया है कि सरकार या सेवा मामलों में पुलिस बल की आलोचना वाला कोई पोस्ट सोशल मीडिया मंच पर नहीं डालनी चाहिए।
इसी तरह सेवा संबंधी मामलों के बारे में कोई शिकायत ऑनलाइन स्तर पर जाहिर नहीं करनी चाहिए। पुलिसकर्मियों को अपने निजी विचार भी व्यक्त करने से रोका गया है।
अधिकारियों समेत पुलिसकर्मियों को सलाह दी गई है कि सोशल मीडिया से जुड़ाव के लिए इंटरनेट जैसे सरकारी संसाधन का इस्तेमाल नहीं होना चाहिए। ड्यूटी के दौरान वे सोशल मीडिया का इस्तेमाल नहीं कर सकते।
अगर कोई पुलिसकर्मी निजी उद्देश्य के लिए सोशल मीडिया का इस्तेमाल करता है तो उसे स्पष्ट करना होगा कि वह निजी हैसियत से ऐसा कर रहा है। डीजीपी झा ने आगाह किया है कि नियमों का पालन नहीं होने पर कानूनी विभागीय कार्रवाई की जाएगी।