पढ़ें-
India से पंगा ड्रैगन को पड़ेगा महंगा, पीएलए को मात देने के लिए एलएसी पर नए जवानों की तैनाती शुरू तीन साल बाद वापस लौट गोरखा नेता बिमल गुरुंग जानकारी के मुताबिक, गुरुंग पर गोरखालैंड आंदोलन के सिलसिले में 150 से ज्यादा मामले दर्ज हैं, जिनमें कलिंगपोंग पुलिस स्टेशन पर ग्रेनेड अटैक और दार्जिलिंग के चौक बाजार पर 2017 में विस्फोट शामिल हैं। वह 2017 में गैरकानूनी गतिविधि निरोधक कानून (यूएपीए) के तहत मामला दर्ज होने के बाद से लापता थे। गुरुंग ने मीडिया से बात करते हुए एनडीए पर गोरखालैंग के वादे से मुकरने का आरोप लगाया और 2021 के विधानसभा चुनाव में टीएमसी को समर्थन देने की घोषणा की। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, गोरखा भवन में दोबारा वापस लौटने से पहले गुरुंग ने टीएमसी नेताओं के साथ करीब एक घंटे तक चर्चा की थी। गुरुंग का कहना है कि वह गोरखालैंड की अपनी मांग से पीछे नहीं हटे हैं और इसका समर्थन करने वाले दल का साथ देंगे।
पढ़ें-
CBI ने टीआरपी घोटाले की जांच की शुरू, अब केंद्र और महाराष्ट्र के बीच बढ़े टकराव के आसार ‘तीन साल से दिल्ली में थे गुरुंग’ जीजेएम नेता बिमल गुरुंग ने बताया कि पहाडी़ एरिया छोड़ने के बाद वह तीन साल तक दिल्ली में रहे। इसके बाद दो महीने में वह झारखंड में रहे थे। मीडिया से बात करते हुए उन्होंने यह भी कहा कि अगर मैं गिरफ्तार हो गया तो कोई दिक्कत नहीं। कहा यहां जा रहा है कि गुरुंग तकरीबन एक महीने से टीएमसी के संपर्क में थे। वहीं, इस पूरे प्रकरण पर बीजेपी ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी है। बंगाल बीजेपी के अध्यक्ष दिलीप घोष ने कहा कि ममता सरकार को अब गोरखालैंड की मांग पर अपना रूख साफ करना चाहिए। घोष ने कहा कि तृणमूल सरका यह स्पष्ट करे कि वह उसके समर्थन में है या नहीं। साथ ही उनके खिलाफ आपराधिक मामले वापस लिए जाएंगे या नहीं।