दरअसल पीयूष गोयल ने यह बात भारती एयरटेल के चेयरमैन सुनील भारती मित्तल की बात का जवाब देते हुए कही। सुनील मित्तल ने भारत की टॉप 200 कंपनियों का संदर्भ लेते हुए कहा था कि ये कंपनियां पिछले कुछ सालों से नौकरियां घटा रही हैं। मित्तल ने कहा था कि अगर ये टॉप 200 कंपनियां नौकरियां नहीं दे रही हैं तो व्यावसायिक समुदाय के लिए समाज को अपने साथ लेकर चल पाना और भी कठिन होता जाएगा।
इसके बाद ही पीयूष गोयल का यह अजीबो गरीब बयान आया। हालांकि इसका मतलब ये बिल्कुल नहीं है कि पीयूष गोयल युवाओं की नौकरी जाने पर खुशी नहीं जता रहे हैं। उनका संदर्भ था कि युवा अब कहीं नौकरी करने की बजाय स्वरोजगार की तरफ जा रहे हैं। पीयूष ने कहा था कि ‘अभी सुनील ने जो कहा कि कंपनियां
रोजगार ? में कमी कर ही हैं, अच्छा संकेत है।’ रेल मंत्री ने कहा कि आज का युवा केवल नौकरी पाने की चाहत रखने वाला नहीं है। वह नौकरियों का सृजन करना चाहता है। गोयल ने कहा कि देश आज देख रहा है कि ज्यादा से ज्यादा नौजवान उद्यमी बनना चाहते हैं।
शायद पीयूष गोयल ऐसा कहते हुए केंद्र सरकार की मुद्रा स्कीम के बारे में सोच रहे थे। पीएम मोदी ने 2015 में मुद्रा स्कीम को लॉन्च किया था। एक रिपोर्ट के मुताबिक इस स्कीम के तहत 8 करोड़ लोगों को 3.42 लाख करोड़ का लोन बांटा गया है। अब सवाल यह है कि क्या इस पर यह आकलन करना सही है कि जिनकी नौकरी गई उन्हें लोन मिला और उन्होंने अपना छोटा बिजनेस शुरू कर दिया?
पीयूष गोयल के बयान की वास्तविकता
पिछले साल लारसन ऐंड टर्बो (L&T) ने करीब 14000 कर्मचारियों की छंटनी की। इस कैलेंडर वर्ष के पहले क्वॉर्टर में एचडीएफसी में कर्मचारियों की संख्या 90421 से घटकर 84325 हो गई। पिछले क्वॉर्टर में कर्मचारियों की संख्या में 4581 की कमी आई थी। पिछले कुछ सालों में 67 टेक्स्टाइल यूनिट बंद हो चुकी हैं, जिससे 17600 लोगों की नौकरी जा चुकी है।