नई दिल्ली। भारतीय समयानुसार शुक्रवार सुबह से जापान के ओसाका में G-20 सम्मेलन ( G-20 Summit ) जारी है। इस सम्मेलन में शामिल होने के लिए भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ( Pm Narendra Modi ) गुरुवार को ही वहां पहुंच गए थे। इस सम्मेलन में पीएम मोदी न्यू इंडिया ( New India ) के सपनों को साकार करने के लिए आधारभूमि तैयार कर सकते हैं। ताकि भारत को अगले 5 वर्ष में 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था और वैश्विक मुद्दों पर सक्रिय भूमिका निभाने वाला देश बना सकें।
बताया जा रहा है कि पीएम मोदी भारतीय हितों को पूरा करने के लिए इन मुद्दों को G-20 सम्मेलन में उठा सकते हैं। 1. वैश्विक मुद्दों पर सक्रिय भागीदारी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने इरादे को ओसाका रवाना होने से पहले ट्वीट कर जाहिर कर दिया था। उन्होंने अपने ट्वीट में कहा था कि मैं अन्य वैश्विक नेताओं के साथ दुनिया के सामने मौजूद प्रमुख चुनौतियों और अवसरों पर चर्चा करने के लिए उत्सुक हूं। आतंकवाद, महिला सशक्तीकरण, डिजिटलाइजेशन और जलवायु परिवर्तन, एच1-बी वीजा, ई-कॉमर्स ( digitalization , women empowerment , climate change , terrorism , h1-b visa , e-commerce ) जैसी वैश्विक चुनौतियों का समाधान हमारी इस बैठक का मुख्य मुद्दा होगा।
2. कार से बुलेट ट्रेन, अब इससे… पीएम मोदी ने गुरुवार को जापान में भारतीय समुदाय ( Indian Community ) को संबोधित करते हुए कहा था कि न्यू इंडिया में दोनों देश के संबंध और मजबूत होंगे। भारत-जापान के बीच संबंध कार बनाने में सहयोग से लेकर अब बुलेट ट्रेन बनाने तक पहुंचा है। आने वाले समय में सहायेग की इस गति को और ऊंचाई तक पहुंचाएंगे। इस दिशा में जापान का भारतीय परियोजनाओं में निवेश महत्वपूर्ण साबित होगा। जापान से और ज्यादा निवेश हासिल करने की दिशा में हम सक्रिय हैं।
3. नेशन फर्स्ट सुबह से जापान के ओसाका में जारी जी-20 सम्मेलन ( G-20 Summit ) के दौरान पीएम मोदी जिन दस देशों के साथ द्विपक्षीय वार्ता करेंगे उनमें फ्रांस, जापान, इंडोनेशिया, अमरीका, तुर्की, ब्रिक्स देशों में (ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका), रिक यानि रूस-चीन-भारत और जय (जापान, अमरीका और इंडिया) के नेताओं अहम मुद्दों पर चर्चा करेंगे और अपने एजेंडों को आगे बढ़ाने का प्रयास करेंगे।
4. अमरीका-चीन ट्रेड वार और ईरान से विवाद पीएम मोदी चाहते हैं कि अमरीका का चीन से ट्रेड वार ( Trade War ) और ईरान से विवाद का असर भारत पर न पड़े। अमरीकी विदेश मंत्री माइक्र पोम्पियो के भारत दौरे के दौरान भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने इस बात का संकेत स्पष्ट रूप से दे दिया है। भारत ने पोम्पियो से साफ कह दिया है कि भारत को मिलने वाली रियासतों को न रोका जाए।
G-20 सम्मेलन ( G-20 Summit ) में शिरकत के दौरान पीएम मोदी अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से द्विपक्षीय वार्ता भी करेंगे। भारत को उम्मीद है कि अमरीका एच-1बी वीजा, ई-कॉमर्स, डिजिटल कारोबार, आतंकवाद, ट्रेड टैक्स, रक्षा सौदा सहित अन्य मुद्दों पर भारतीय हितों का ख्या रखेगा।
5. आतंकवाद आतंकवाद हमेशा से ही भारत के एजेंडे में रहा है। भारत की मांग है कि अमरीका पाकिस्तान पर आतंकी गतिविधियों को रोकने के लिए दबाव बनाए। इस मुद्दे पर दिसंबर, 2014 में संयुक्त राष्ट्र संघ में भारत का पक्ष रखते हुए कहा था कि कुछ देशों में देश की सरकारों द्वारा समर्थित आतंकवाद उनकी विदेश नीति का मूल मन्त्र है। वह आतंकवाद के पोषण भी हैं । चार दशकों से भारत आतंकवाद की मार झेल रहा है।
बिना नाम लिए मोदी ने बराक ओबामा के ( Good terrorism ) और ( Bad terrorism ) की थ्योरी को खारिज करते हुए सवाल उठाया था। उन्होंने विश्व समुदाय ( World Community) से कहा था कि गुड और बैड टेररिज्म कुछ नहीं होता। आतंकवाद तो आतंकवाद होता है।
6. भगोड़े आर्थिक अपराधियों की धड़पकड़ विजय माल्या, नीरव मोदी, मेहुल चोकसी, ललित मोदी, जतिन मेहता, चेतन जयंतीलाला और नितिन जयंतीलाल, आशीष जोबनपुत्रा, रीतेष जैन समेंत 31 आर्थिक अपराधियों ( Economic Offender’s ) की वजह से मोदी सरकार की पिछले कुछ वर्षों के दौरान आंतरिक मोर्चे पर काफी किरकिरी हुई है। पिछले G-20 सम्मेलन की तरह इस बार भी मोदी इस मुद्दे पर जोर देंगे। ताकि राष्ट्रीय कोषागार व जनता को धोखा देकर फरारे हो चुकी भगोड़ों की इंडिया लाकर उनके खिलाफ केस चलाना संभव हो सके।
7. जलवायु परिवर्तन पीएम मोदी G-20 सम्मेलन ( G-20 Summit ) में जलवायु परिवर्तन से लेकर प्रमुख वैश्विक चुनौतियों पर चर्चा कर सकते हैं। इस मुद्दे पर मोदी का कहना है कि हमें कार्बन का उत्सर्जन कम करना होगा। 2030 तक भारत की योजना 30-35 फीसदी कम कार्बन उत्सर्जन की है। उन्होंने पर्यावरण संतुलन पर भारत गंभीर है। इसके लिए ग्लोबल पार्टनरशिप ज़रूरी है।
उन्होंने कहा कि इसके लिए वैश्विक स्तर पर तत्काल प्रभावी कदम उठाने की जरूरत है। प्रदूषण कम करने के लिए भारत 2030 तक 40 फीसदी बिजली गैर जीवाश्म ईंधन के जरिए पैदा करेगा। लेकिन जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों से निपटने के लिए जरूरी है कि विकसित भी दिल खोलकर आगे आएं।