नोटबंदी के बाद देश में मच गई थी अफरतफरी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस ऐलान के बाद पूरे देश में अफरातफरी का माहौल पैदा हो गया। किसी को भी कुछ समझ नहीं आया कि आखिर ये अचानक हुआ कैसे और अब नोटबंदी के बाद करना क्या-क्या है? पीएम मोदी के अलावा नोटबंदी की जानकारी बहुत ही चुनिंदा लोगों को थी, लेकिन जैसे ही इसके बारे में पूरे देश को पता चला तो वो किसी अफरातफरी से कम नहीं था।
मीडिया संस्थानों ने पाकिस्तान से युद्ध होने का लगाया था अनुमान 8 नवंबर 2016 को शाम के वक्त सभी न्यूज चैनलों पर ये ब्रेकिंग आई कि रात आठ बजे पीएम मोदी देश को संबोधित करने वाले हैं। देश के तमाम मीडिया संस्थानों के साथ-साथ मैं जिस न्यूजरूम में मौजूद था, वहां भी एकदम से हलचलें पैदा हो गई कि आखिर प्रधानमंत्री अपने संबोधन में क्या कहने वाले हैं? पीएम के संबोधन से पहले जो अनुमान न्यूजरूम में और न्यूज चैनलों में लगना शुरू हो गया था वो ये था कि शायद पीएम मोदी पाकिस्तान के साथ युद्ध का ऐलान कर सकते हैं, क्योंकि उस वक्त पाकिस्तान से भारत के रिश्ते बेहद ही खराब चल रहे थे। उससे दो महीने पहले ही जम्मू-कश्मीर के उरी में बड़ा आतंकवादी हमला हुआ था, तो सभी को यहीं अनुमान था कि शायद पाकिस्तान के साथ युद्धा का ऐलान प्रधानमंत्री कर सकते हैं।
क्या थी पीएम मोदी की नोटबंदी वाली वो लाइन? रात 8 बजे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जैसे ही देश को संबोधित करने आए तो सभी के दिलों की धड़कनें बहुत तेज थीं, हर कोई अपने-अपने अनुमान के मुताबिक सोच रहा था, लेकिन प्रधानमंत्री ने जैसे 500 और 1000 रुपए के नोट बंद करने का ऐलान किया तो सभी के चेहरे की हवाईयां उड़ गई थीं। पीएम मोदी ने कहा, ‘आज मध्य रात्रि यानि कि 8 नवंबर 2016 की रात्रि 12 बजे से वर्तमान में जारी 500 और 1000 रुपए के करेंसी नोट लीगल टेंडर नहीं रहेंगे, ये मुद्राएं कानूनन अमान्य होंगी’। सबसे पहले तो लोगों को ‘लीगल टेंडर’ को समझने में ही काफी वक्त लग गया, जब पीएम मोदी का भाषण खत्म होने के बाद न्यूज चैनलों ने इसे एक्सप्लेन किया तो लोगों को समझ आया कि 500 और 1000 रुपए के नोट बंद हो गए हैं।
लोगों को 50 दिन का दिया गया था नोट बदलने का समय पीएम की इस घोषणा के बाद न्यूज रूम में लगातार फोन आने का सिलसिला शुरू हो गया, क्योंकि सभी के जानकारों को ये जानने की उत्सुकता थी कि आखिर ये हुआ क्या और अब आगे करना क्या है। दफ्तर के बाद जब सड़कों पर माहौल देखा तो लोगों के बीच यही चर्चा का विषय नोटबंदी ही थी। पीएम मोदी के ऐलान के बाद से ही एटीएम के बाहर लोगों की लाइनें लगनी शुरू हो गईं और अगले दिन से तो बैंकों के बाहर लाइनों के साथ-साथ लोगों के बीच मारपीट की घटनाएं होने लगी। किसी के पास 500 और 1000 रुपए के नोटों की भरमार थी तो किसी का पैसा बैंक में था, लेकिन जिसका पैसा बैंक में था, उसे भी बैंक से पैसा निकालने में कई घंटों तक लाइनों में लगा रहना पड़ा। ये सिलसिला अगले 50 दिन तक जारी रहा था। लोगों को नोट बदलने के लिए 50 दिन दिए गए थे, लेकिन इसका असर काफी महीनों तक देखने को मिला। हालांकि 31 मार्च 2017 तक आरबीआई में भी नोटों को बदलने का सिलसिला चला था।
8.9 करोड़ नोट यानी 1.3 प्रतिशत नोट बैंकिंग सिस्टम में नहीं लौटे 8 नवंबर, 2016 को जब नोटबंदी का ऐलान हुआ, उस वक्त 500 रुपये को 1,716.5 करोड़ नोट जबकि 1,000 रुपये के 685.8 करोड़ नोट लोगों के बीच चलन में थे। दोनों का कुल मूल्य 15.44 लाख करोड़ रुपये थी। आरबीआई के मुताबिक, 1,000 रुपये के 8.9 करोड़ नोट यानी 1.3 प्रतिशत नोट बैंकिंग सिस्टम में नहीं लौटे हैं। नोटबंदी को दो साल हो गए हैं, लेकिन इसके फायदे और नुकसान पर आज भी खूब चर्चाएं होती हैं, जहां एक तरफ सरकार इसके फायदे गिनाती हैं तो वहीं विपक्षी पार्टियां नोटबंदी के नुकसान।