विविध भारत

पूर्व वायुसेना प्रमुख धनोवा बोले- रक्षा खरीदों को धीमा कर देते हैं राफेल डील जैसे विवाद

एयर स्ट्राइक के दौरान भी राफेल होता, तो नतीजे और होते
राफेल डील पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला अच्छा
लोगों को विमानों की कीमतें पूछने का पूरा अधिकार

Jan 06, 2020 / 08:22 am

Navyavesh Navrahi

राफेल लड़ाकू विमान खरीद सौदे को लेकर हुए विवाद के बारे में पूर्व वायुसेना प्रमुख बीएस धनोवा ने कहा कि इस तरह के विवाद रक्षा खरीदों को धीमा कर देते हैं। इससे सशस्त्र बलों की क्षमताओं पर भी प्रभाव पड़ता है। पूर्व एयर चीफ मार्शल ने कहा कि बालाकोट हवाई हमले के बाद भारत-पाकिस्तान गतिरोध के दौरान अगर विंग कमांडर अभिनंदन वर्द्धमान मिग 21 के बजाय राफेल उड़ा रहे होते, तो नतीजा कुछ अलग होता।
राफेल पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला अच्छा

धनोवा आईआईटी बंबई की ओर से आयोजित ‘टेकफेस्ट’ कार्यक्रम में बोल रहे थे। इस दौरान उन्होंने राफेल विवाद का जिक्र करते हुए कहा कि- सुप्रीम कोर्ट ने इस मुद्दे (नरेंद्र मोदी सरकार को क्लीन चिट देने) पर एक उत्कृष्ट फैसला दिया है। धनोवा ने कहा कि- ‘मैंने हमेशा ही व्यक्तिगत रूप से यह कहा है… जब राफेल जैसा मुद्दा उछाला जाएगा, यदि आप रक्षा खरीद प्रणाली को राजनीतिक रंग देंगे तब पूरी प्रणाली पीछे छूट जाएगी।’ उन्होंने कहा कि- ‘अन्य सभी फाइलें भी धीमी गति से आगे बढ़ेंगी क्योंकि लोग सचेत होना शुरू हो जाएंगे।’
लोगों को कीमतें पूछने का पूरा अधिकार

पूर्व वायुसेना प्रमुख ने कहा कि- बोफोर्स सौदा भी विवाद में रहा था, जबकि बोफोर्स तोपें ‘अच्छी रही हैं।’ उन्होंने कहा कि देश में ऐसी कई एजेंसियां हैं जो शिकायतें मिलने पर सौदों की जांच करती हैं। साथ ही ये भी कहा कि लोगों को विमानों की कीमतों के बारे में पूछने का पूरा हक है, क्योंकि उसमें करदाताओं का पैसा लगा होता है।
फैसले में देरी असर डालती है

धनोवा ने कहा कि- ‘विवाद पैदा होने के कारण रक्षा (साजोसामान) के आधुनिकीकरण के धीमा पड़ने का बड़ा असर पड़ता है। जैसे पीएम ने एक बयान में कहा था, वो सच था लेकिन लोग इसे राजनीतिक बयान कह रहे थे। पीएम मोदी ने पिछले साल मार्च में कहा था कि पाकिस्तान में आतंकी ठिकानों पर एयर स्ट्राइक के दौरान यदि भारत के पास राफेल लड़ाकू विमान होते तो परिणाम अलग होता। धनोवा ने पूर्ववर्ती कांग्रेस नीत यूपीए सरकार का बिना नाम लिए कहा कि- ‘100 प्रतिशत परिणाम अलग होता। वह (अभिनंदन) राफेल क्यों नहीं उड़ा रहे थे? क्योंकि आपने यह फैसला करने में 10 साल लगा दिए कि कौन-सा विमान खरीदा जाए। इसलिए यह (देरी) आपको प्रभावित करती है।’

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