सीमा विवाद के बीच LAC पर फायरिंग, बौखलाए चीन ने लगाया भारतीय सेना पर उकसाने का आरोप
सोमवार-मंगलवार की रात को पूर्वी लद्दाख सेक्टर ( LAC ) में दोनों सेनाओं के बीच गोलीबारी।
चीन के रक्षा मंत्रालय और सेना ने कहा कि भारत के उकसाने पर की गई जवाबी कार्रवाई।
गतिरोध ( India-China standoff ) के बीच केंद्र सरकार के सूत्रों के मुताबिक वास्तविक नियंत्रण रेखा पर हालात नियंत्रण में।
Firing on LAC in Eastern Ladakh amid India-China Standoff for over 3 months: Sources
लेह। बीते मई से पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा( LAC ) पर भारत और चीन के बीच जारी तनातनी ( India-China standoff ) के बीच मंगलवार की शुरुआती रात को बड़ी खबर सामने आई है। सूत्रों के मुताबिक पूर्वी लद्दाख सेक्टर में एलएसी पर गोलीबारी की घटना हुई है। वर्ष 1975 के करीब पांच दशक बाद यहां पर दोनों सेनाओं के बीच पहली बार फायरिंग की घटना सामने आई है। वहीं, इस घटना से बौखलाए चीन ने उल्टा भारत पर ही उकसाने का आरोप लगाते हुए इसे जवाबी कार्रवाई बताया है।
क्या PM Modi ने फिर दी चीन को चेतावनी? कहा- कुछ ही देशों के पास है ऐसी क्षमता ताजा जानकारी के मुताबिक भारत-चीन के बीच लद्दाख में सीमा पर जारी तनाव के बीच सोमवार-मंगलवार की रात को एलएसी के पास दोनों देशों के सैनिकों के बीच फायरिंग की घटना हुई है। इस संबंध में केंद्र सरकार के उच्च पदस्थ सूत्रों का कहना है कि फिलहाल एलएसी पर हालात नियंत्रण में हैं। वहीं, भारतीय सेना के सूत्रों ने इस घटना की पुष्टि करते हुए कहा कि चेतावनी देने के लिए कुछ फायरिंग की गई थी।
चीन का चौंकाने वाला आरोप वहीं, देर रात चीनी रक्षा मंत्रालय और चीन की पीपुल्स लिब्रेशन आर्मी के पश्चिमी थियेटर कमान के प्रवक्ता कर्नल झांग शुइली ने इस संबंध में बयान जारी कर उल्टा भारत को ही इस फायरिंग के लिए जिम्मेदार ठहराया। बयान के मुताबिक भारतीय सैनिकों द्वारा कथित उकसावे की कार्रवाई की गई, जिसके चलते चीनी सैनिकों द्वारा जवाबी कार्रवाई की गई। शुइली ने आगे आरोप लगाया कि सोमवार को भारतीय सेना ने अवैध रूप से पैंगोंग त्सो झील के दक्षिणी किनारे के नजदीक स्थित शेनपाओ पहाड़ में एलएसी को पार किया।
45 साल बाद बने ऐसे हालात हालांकि यह घटना ऐसे वक्त में काफी महत्वपूर्ण हो जाती है, जब दोनों देशों के बीच लंबे वक्त से तनाव बना हुआ है और 15 जून की रात को गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प में भारत के 20 जवान शहीद हो गए थे। इस दौरान चीन के भी सैनिक मारे गए थे और चीन ने इसकी पुष्टि भी की है, लेकिन कितने सैनिक मारे गए थे इसका खुलासा नहीं किया है।
इस घटना के बाद दोनों देशों के बीच कई दौर की ब्रिगेडियर स्तर की सैन्य वार्ता भी आयोजित की गई, लेकिन इसका कोई परिणाम नहीं निकला। वहीं, जून में गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प के बाद भी दोनों पक्षों के बीच सैन्य और कूटनीतिक स्तर की वार्ता कई दौर में हुई, लेकिन चीन द्वारा कुछ बातों पर सहमति जताने के बावजूद वादा खिलाफी की गई और दोनों देशों के बीच संघर्ष वाले इलाकों से सेना को पीछे हटाने की बात से चीन पलट गया और वहीं डटा रहा।
इसके बाद भारत ने भी वास्तविक नियंत्रण रेखा के पास कई महत्वपूर्ण मोर्चों पर अपने सैनिक और भारी मात्रा में लड़ाई का साजो-सामान तैनात कर दिया और हाल ही में चीन को कड़ा सबक सिखाया। पैंगोंग त्सो झील के दक्षिणी किनारे के तीन विवादास्पद इलाकों के ताजा घटनाक्रम के बाद ब्लैक टॉप और हेलमेट टॉप को भारत द्वारा नियंत्रण में लिए जाने के बाद इसके आसपास के इलाकों में चीन द्वारा तैनाती बढ़ाए जाने को लेकर भारत ने चिंता जताई है।
चीन की सेना इन दोनों चोटियों पर नियंत्रण करने की जुगत में भिड़ी है और आगे बढ़ रही है। भारत ने भारतीय क्षेत्र में थाकुंग अड्डे के करीब चीन से उसकी सेना की तैनाती को पूरी तरह से पीछे हटाने के लिए कहा है।
वहीं, चीनी जवानों को पीछे करने के लिए भारतीय सैनिकों ने एलएसी पर रेजांग ला से ढाई से तीन किलोमीटर की दूरी पर रेचिन ला पर अपनी मजबूत पकड़ कर ली है। 29 और 30 अगस्त की रात को चीनी द्वारा दोनों देशों के बीच हुई पूर्व में हुई सहमति का खुला उल्लंघन किया दआ था। पूर्वी लद्दाख में गतिरोध के बाद हुई सैन्य वार्ता में इस बात पर सहमति बनी थी कि कोई भी सेना दूसरे के इलाके में नहीं जाएगी और उकसावे की कार्रवाई नहीं करेगी। भारत ने चीन से दो टूक कहा है कि वो पैंगोंग त्सो के इलाके से सेना को पीछे कर ले, लेकिन चीन ने इससे इनकार कर दिया था।