आईआईटी कानपुर ने दी है बड़े भूकंप की चेतावनी ( Earthquake Warning )
बता दें कि आईआईटी कानपुर ने दिल्ली समेत कई इलाकों में बड़े भूकंप के खतरे को लेकर चेतावनी दी है। उन्होंने अध्ययन में कहा है कि भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल पर 7.5 से 8.5 के बीच हो सकती है। सिविल इंजिनियरिंग विभाग के प्रफेसर जावेद एन मलिक ने लंबी रिसर्च के बाद इसका दावा किया है।
उन्होंने कहा है कि उत्तराखंड के रामनगर में जमीन से पहाड़ की और 200 मीटर की जगह को चिन्हित किया गया। जहां जेसीबी से खुदाई की गई। जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क से 5 से 6 किलोमीटर के दायरे में किए गए इस अध्ययन में 1505 और 1803 में आए भूकंप के प्रमाण मिले हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक, यहां 8 मीटर तक नीचे खुदाई करने पर मिट्टी की सतह एक-दूसरे पर चढ़ी हुई मिली। जिसके बाद वैज्ञानिकों इस बात की पुष्टि कि है कि यहां धरती के नीचे टेक्टोनिक प्लेट्स में हलचल बढ़ी है।
Earthquake: भूकंप के झटकों से कांप उठा दिल्ली-NCR, रिक्टर स्केल पर तीव्रता 4.6 दर्ज
1885 से 2015 में आए थे 7 बड़े भूकंप ( History of Earthquake in India )
मलिक ने बताया कि देश में 1885 से 2015 के बीच 7 बड़े भूकंप आए थे। जिसमें तीन भूकंप 7.5 से 8.5 तीव्रता के बीच के थे। उन्होंने बताया कि 2001 में भुज में आए भूकंप ने 300 किमी दूर अहमदाबाद में भी भारी तबाही मचाई थी।
बड़े भूकंप से हो सकती है भारी तबाही ( Risk of Earthquake )
मलिक बताते हैं कि मध्य हिमालयी क्षेत्र में भूकंप आया तो दिल्ली-एनसीआर, आगरा, कानपुर, लखनऊ, वाराणसी और पटना तक का इलाका प्रभावित हो सकता है। क्योंकि, बड़ा भूकंप 300 से 400 किमी इलाके को चपेट में ले सकता है। जिसे भारी तबाही मच सकती है।
देश के 29 शहरों में ज्यादा खतरा
नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी ( एनसीएस )के अनुसार, दिल्ली समेत देश के 29 शहर बड़े भूकंपीय क्षेत्रों में आते हैं। क्योंकि, इनमें से अधिकांश जगह हिमालयी क्षेत्रों में हैं। इनमें दिल्ली, पटना, श्रीनगर, कोहिमा, पुडुचेरी, गुवाहाटी, गंगटोक, शिमला, देहरादून, इंफाल और चंडीगढ़ भूकंपीय क्षेत्र IV और V के अंतर्गत आते हैं। बता दें कि इन शहरों की कुल आबादी तीन करोड़ से अधिक है।
डिजिटल ऐक्टिव फॉल्ट मैप ऐटलस तैयार
बता दें कि भूकंप को लेकर केंद्र सरकार के आदेश पर डिजिटल ऐक्टिव फॉल्ट मैप ऐटलस तैयार किया गया है। इसमें सक्रिय फॉल्टलाइन की पहचान के अलावा पुराने भूकंपों का रिकॉर्ड भी दर्ज होगा। ऐटलस से लोगों को पहले पता चल जाएगा कि निर्माण भूकंप की फॉल्ट लाइन के कितना करीब हैं। ऐसे में क्या.क्या सावधानियां रखनी है। बता दें कि रामनगर में मिले भूकंप के अवशेष के बाद कालाडुंगी फॉल्टलाइन नाम दिया गया है।