बता दें कि दिल्ली में कोरोना संक्रमण की वजह से अब तक 20 हजार 907 लोगों की मौत हो चुकी है। यही नहीं, सरकारी विभागों में भी कर्मचारी रोज कोरोना संक्रमण का शिकार हो रहे हैं। दिल्ली परिवहन निगम यानी डीटीसी में अब तक कोरोना संक्रमण की वजह से 50 कर्मचारियों की मौत हो चुकी है। कोरोना संकमण की वजह से डीटीसी कर्मचारियों की लगातार हो रही मौतों और सरकार की इस पर चुप्पी के बाद अब कर्मचारी यूनियन ने इन सभी मृत कर्मचारियों को कोरोना योद्धा घोषित करने की मांग की है।
-
डीटीसी कर्मचारी एकता यूनियन के मुताबिक, निगम में अभी तक कोरोना संक्रमण की वजह से इस साल 50 कर्मचारियों की मौत हो चुकी है, लेकिन डीटीसी विभाग और दिल्ली सरकार ने इन मृत कर्मचारियों को कोरोना योद्धा घोषित नहीं किया है। प्रत्येक डिपो में अब कर्मचारी छुट्टी पर जाने लगे हैं इस डर से कि यदि ड्यूटी पर रहते हुए उनकी जान चली गई तो परिवार को संभालने वाला कोई नहीं होगा और न ही सरकार की ओर से उन्हें कोई मदद मिलेगी।
यूनियन के कार्यकारिणी अध्यक्ष मनोज शर्मा के मुताबिक, डीटीसी कर्मचारी इस कोरोनाकाल में फ्रंट लाइन वर्कर की तरह काम कर रहा है। कर्मचारी मरीजों को ले जाने, डीटीसी कैट्स एंबुलेंस चलाने और ऑक्सीजन सिलेंडर लाने व ले जाने का कार्य भी कर रहे हैं। यही नहीं, डीटीसी कर्मचारी दिल्ली से पलायन करने वाले प्रवासी मजदूरों और मुर्दों को भी ले जाने का काम कर रहे हैं, मगर जब वैक्सीन लगाने की बात होती है तो उनका नाम फ्रंटलाइन वर्कर में कहीं नहीं होता।
-
मनोज शर्मा ने डीटीसी विभाग और दिल्ली सरकार से अपील की है कि इस कोरोना महामारी से मरने वाले कर्मचारियों को कोरोना योद्धा घोषित कर अब तक मृत 50 कर्मचारियों के परिजन को एक करोड़ की आर्थिक मदद दी जाए। इस कोरोना काल में अगर सरकार डीटीसी कर्मचारियों को कोरोना योद्धा का दर्जा देगी और शहीद होने पर उनके परिवार को सम्मान राशि देती है तो डीटीसी के सभी कर्मचारी अपनी ड्यूटी पर आएंगे। पूरी लगन से बिना किसी परवाह के जनता की सेवा करेंगे।