आपको यहां बता दें कि मुख्यमंत्री ने इस नये झंडे को कन्नड़ संगठनों के साथ एक बैठक के दौरान पेश किया। यह झंड़ा तीन रंगों का बना है। झंडे के सबसे ऊपर में पीली पट्टी है जबकि बीच में सफेद और नीचे लाल रंग की पट्टी है। झंडे के बीच में सफेद पट्टी पर कर्नाटक राज्य का प्रतीक चिन्ह “गंद्दु भेरुण्डा” (दो बाज) बना हुआ है। बैठक के दौरान मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कहा कि हम झंडे के दिशानिर्देशों का सम्मान करेंगें और राष्ट्रीय ध्वज के नीचे फहरायेंगे। आगे मुख्यमंत्री ने कहा कि यह झंडा कन्नड़ लोगों के अभिमान का प्रतीक है। इस झंडे का सभी कन्नड़ संगठनों का समर्थन प्राप्त है। इस दौरान कन्नड़ संगठन के एक वरिष्ठ नेता सारा गोविंद का कहना है कि मुख्यमंत्री सिद्धरमैया जी के प्रयासों से हीं यह संभव हुआ है जिसके लिए मैं कन्नड़ लोगों कि ओर से उनको धन्यवाद अदा करता हूं।
हालांकि इस फैसले के बाद से भाजपा पशोपेश में पड़ गई है। विधानसभा के चुनाव होने को महज दो माह बचे हैं और ऐसे में पार्टी के आलाकमान को यह समझ में नहीं आ रहा है कि आखिर इस मुद्दे पर क्या रणनीति अपनाई जाए। यदि भाजपा इस झंड़े का समर्थन करती है तो यह आरएसएस के विचार “एक राष्ट्र एक ध्वज’ के सिद्धांत के विरुद्द निर्णय माना जाएगा जबकि यदि समर्थन नहीं करती है तो विधानसभा के चुनाव में खामियाजा भुगतना पड़ सकता है।
आपको यहां बता दें कि कर्नाटक साहित्य अकादमी के अध्यक्ष प्रो. चंद्रशेखर पाटिल ने कहा है कि यह एक ऐतिहासिक दिन है और केंद्र सरकार को मंजूरी देने में किसी प्रकार से कोई परेशानी नहीं होनी चाहिए। कर्नाटक से पहले जम्मू कश्मीर भारत का इकलौता राज्य है जिसके पास राज्य का अपना अलग झंडा है। हालांकि उम्मीद की जा रही है कि राज्य सरकार के कैबिनेट की मंजूरी की औपचारिकता पूरी होते ही इसी हफ्ते सिद्धारमैया सरकार इसे केंद्र की मोदी सरकार को मंजूरी के लिए भेज देगी।