कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता किस तरह कानून एवं व्यवस्था को अपने हाथ में ले सकता है। कोर्ट ने कहा कि यह विश्वास करना कठिन है कि याचिकाकर्ता को इस बात का ज्ञान नहीं था कि वह इस तरह किसी व्यक्ति को नुकसान पहुंचा सकता है। उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में स्पष्ट कहा कि प्रार्थी द्वारा किए गए अपराध की गंभीरता को ध्यान में रखते हुए और वर्तमान मामले के तथ्यों को भी ध्यान में रखते हुए कोर्ट याचिकाकर्ता को जमानत नहीं दे सकता।
कोर्ट ने कहा कि आरोपी ने न सिर्फ दंगाईयों की भीड़ में भाग लिया वरन बड़ी भीड़ का नेतृत्व करने, हाथ में पिस्तौल रखने तथा दूसरों को धमकाने का भी काम किया। हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट द्वारा शाहरुख पठान पर दंगों में भाग लेने के आधार पर उसकी जमानत याचिका रद्द करने के फैसले को भी सही बताया।
उल्लेखनीय है कि दिल्ली हिंसा के दौरान एक वीडियो वायरल हो गया था जिसमें शाहरुख पठान को एक निशस्त्र पुलिसकर्मी पर पिस्तौल ताने देखा गया। वीडियो सामने आने के बाद पुलिस ने 3 मार्च 2020 को उसे गिरफ्तार कर लिया था। इस मामले पर बोलते हुए पठान के वकील ने कहा ट्रायल कोर्ट ने याचिकाकर्ता को जमानत देने से इनकार करते हुए भौतिक तथ्यात्मक पहलुओं पर विचार नहीं किया है।