इसी बीच 23 जुलाई को केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री भारती पवार ने लोकसभा में चर्चा के दौरान एक लिखित जवाब देते हुए कहा, ‘कोविड का डेल्टा वेरिएंट, दूसरे वेरिएंट के मुकाबले तेजी से फैलता है। हालांकि, ये अनुमान नहीं लगाया जा सकता कि देश में कोविड की तीसरी लहर केवल इस वेरिएंट से आ सकती है, क्योंकि मामलों में तेजी वैक्सीनेशन समेत दूसरे फार्मा और नॉन-फार्मा कारकों पर भी निर्भर करेगी।”
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री क्या बोले वहीं, लोकसभा में एक लिखित जवाब में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने कहा, ‘तीसरी लहर या तो वायरस में म्यूटेशन या संवेदनशील आबादी के चपेट में आने के कारण आ सकती है।’
मंडाविया ने बच्चों को लेकर कहा कि विश्व स्तर पर अभी तक ऐसा कोई वैज्ञानिक प्रमाण सामने नहीं आया है कि बच्चे डेल्टा वेरिएंट सहित कोविड से असमान रूप से संक्रमित होते हैं। उन्होंने आगे कहा कि बच्चे अगर संक्रमित भी होते हैं तो उनमें लक्षण दिखाई नहीं देते और वे गंभीर बीमार नहीं होते।
खतरनाक स्तर की थी दूसरी लहर बता दें कि भारत में दूसरी लहर के दौरान अप्रैल-मई में औसतन चार लाख केस रोजाना पाए गए थे और चार हज़ार प्रतिदिन मौतों का आंकड़ा सामने आया था। डेल्टा वेरिएंट के कारण दूसरी लहर आई, अब यही डेल्टा वेरिएंट ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका समेत कई देशों में तबाही मचा रहा है। डेल्टा वेरिएंट सबसे पहले भारत में ही पाया गया था। विशेषज्ञों के अनुसार तीसरी लहर के लिए डेल्टा प्लस वेरिएंट जिम्मेदार होगा, जिस पर वैक्सीन का भी कोई खास असर नहीं पड़ता है।
क्या अब सुधर पाएंगी स्वास्थ्य व्यवस्थाएं गौरतलब है कि दूसरी लहर के दौरान मोदी सरकार के ऊपर खूब सवाल उठे थे, जिसके कारण देश के स्वास्थ्य मंत्री को भी बदला गया है। हर्षवर्धन को हटाकर मनसुख मंडाविया को स्वास्थ्य मंत्रालय का जिम्मा सौंपा गया है। ऐसे में देखना होगा कि वे संभावित तीसरी लहर के लिए उचित स्वास्थ्य प्रबंधन कर पाते हैं या नहीं, क्योंकि दूसरी लहर के दौरान लोगों को ऑक्सीजन, दवाओं और अन्य मूलभूत आवश्यकताओं का अभाव देखने को मिला।