अध्ययन में इस बात का खुलासा हुआ है कि लॉकडाउन ने महामारी के चरम पर पहुंचने को 34 से 76 दिनों तक आगे बढ़ा दिया है। आईसीएमआर के अध्ययन में दावा किया गया है कि लॉकडाउन ने संक्रमण के मामलों में 69 से 97 प्रतिशत तक कमी कर दी, जिससे स्वास्थ्य प्रणाली को संसाधन जुटाने और बुनियादी ढांचा मजबूत करने में मदद मिली। लॉकडाउन के बाद जन स्वास्थ्य उपायों को बढ़ाए जाने और इसके 60 प्रतिशत कारगर रहने की स्थिति में महामारी नवंबर के पहले हफ्ते तक अपने चरम पर पहुंच सकती है।
नवंबर में कोरोना वायरस महामारी (
Coronavirus Pandemic ) चरम पर पहुंचने के बाद 5.4 महीनों के लिए आइसोलेशन बेड, 4.6 महीनों के लिए आईसीयू बेड और 3.9 महीनों के लिए वेंटिलेटर कम पड़ जाएंगे।
लॉकडाउन से हुआ बड़ा फायदा आईसीएमआर शोधकर्ताओं के अध्ययन में बताया गया है कि लॉकडाउन ( Lockdown ) और जन स्वास्थ्य उपाय नहीं किए गए होते तो स्थिति अत्यधिक गंभीर होने सकती थी। बुनियादी ढांचा बढ़ाने के लिए सरकार द्वारा सतत कदम उठाए जाने और विभिन्न क्षेत्रों में संक्रमण की दर अलग-अलग रहने के कारण महामारी के प्रभावों को घटाया जा सकता है। अगर जन स्वास्थ्य उपायों के कवरेज को बढ़ाकर 80 फीसदी कर दिया जाता है तो महामारी के प्रभाव में कमी लाई जा सकती है।
यूपी सरकार का ऐलान – नोएडा और ग्रेटर नोएडावासी इस नंबर पर कॉल कर Corona Test करा सकते हैं फिक्स सोशल डिस्टेंसिंग से टली 60% मौतें भारत में कोविड-19 महामारी के मॉडल आधारित विश्लेषण के मुताबिक लॉकडाउन के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग ( Social distancing ) पर अमल से मरने वालों की सख्या में करीब 60 फीसदी मौतें टाली गई हैं। एक तिहाई मौतों को टाले जाने का श्रेय स्वास्थ्य सुविधा उपायों में वृद्धि को को जाता है।
लॉकडाउन की अवधि के दौरान जांच, उपचार और रोगियों को पृथक रखने के लिए अतिरिक्त क्षमता तैयार करने के साथ चरम पर मामलों की संख्या 70 फीसदी तक कम हो जाएगी और संक्रमण के मामले करीब 27 प्रतिशत घट जाएंगे।
हेल्थ मिनिस्ट्री के आंकड़ों के अनुसार देश में कोरोना वायरस संक्रमण के मामले बढ़कर रविवार को 3,20,000 हो गए हैं। अब तक 9,195 लोगों की मौत हो चुकी है। भारत में लगातार तीसरे दिन 10,000 से अधिक नए मामले सामने आए।