हरोशे के मुताबिक विज्ञान ने हमेशा ही मानव समान को हैरान किया है। विज्ञान में हमें कभी सफलता मिलती है तो कभी असफलता हाथ लगती है।
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आपको बता दें कि 75 वर्षीय हरोशे ने कहा कि उनको नहीं पता कि आखिर मून लैंडर विक्रम के साथ वास्तव में हुआ क्या? लेकिन इसरो निश्चित ही समस्या का हल निकालने का प्रयास करेगा।
उन्होंने कहा कि विज्ञान में हमें हमेशा आशावादी रहने चाहिए, क्योंकि इसमें कभी कामयाबी हाथ लगती है तो कभी नाकामयाबी।
आपको बता दें कि हरोशे 2012 के नोबेल पुरस्कार विजेता हैं।
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हरोशे ने कहा कि चंद्रयान-2 को लेकर एक समस्या यह भी थी कि यह प्रोकेक्ट काफी चर्चित हो गया था और इससे लोगों को बहुत अधिक उम्मीदें थीं।
यह वजह है कि इसरो से लैंडर का संपर्क टूटने के बाद बड़े पैमाने पर निराशा हाथ लगी।
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बाद में जांच में पाया गया कि लैंडर विक्रम की सॉफ्ट लैंडिंग नहीं कराई जा सकती और वह चांद की चांद की सतह पर तय सीमा से 400 मीटर दूर जाकर गिरा है।
इस बात का खुलासा चंद्रमा के चक्कर काट रहे चंद्रयान के आर्बिटर ने किया है।
आर्बिटर ने अंतरिक्ष से लैंडर विक्रमकी जो तस्वीर भेजी है, उससे उसकी लोकेशन का पता चला है।