नई दिल्ली। चंद्रयान-2 का लैंडर विक्रम भले ही अपने नियत समय पर चांद की सतह पर लैंडिंग करने में असफल रहा हो, लेकिन ISRO वैज्ञानिकों ने अभी उम्मीदें खोई नहीं है। वैज्ञानिकों की मानें तो लैंडर विक्रम अभी सुरक्षित है और उसे खोजने का काम शुरू हो चुका है। हालांकि वैज्ञानिकों ने का कहना है कि लैंडर विक्रम से संपर्क काफी मुश्किल है, लेकिन उम्मीद अभी बाकी हैं।
यही नहीं वैज्ञानिकों के मुताबिक लैंडर विक्रम के क्रैश होने की कोई बात अभी सामने नहीं आई है। ऐसे में वैज्ञानिकों ने उसे ढूंढने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। वैज्ञानिकों ने ये भी उम्मीद है कि विक्रम अगले कुछ घंटों में या दिनों में अगर संपर्क में तो हो सकता है कि वो कुछ तस्वीरें भी भेज दे।
हालांकि इस बात की वजह से बड़ी उम्मीद कायम कि चंद्रयान 2 का ऑर्बिटर बिल्कुल ठीक जगह है और लूनर ऑर्बिट में सही से अपना काम कर रहा है। फिलहाल लैंडर और उसके अंदर का रोवर कहां अटक गए हैं इसकी जानकारी नहीं है, लेकिन ऑर्बिटर अपना काम कर रहा है।
‘ चंद्रयान-2 मिशन के तहत भेजा गया 1471 किलोग्राम वजनी लैंडर ‘विक्रम’ भारत का पहला मिशन था जो स्वदेशी तकनीक की मदद से चंद्रमा पर खोज करने के लिए भेजा गया था। लैंडर का यह नाम भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के जनक डॉ.विक्रम ए साराभाई पर दिया गया था।
आपको बता दें कि स्पेस में ऑर्बिटर की आयु एक वर्ष की रहती है। सौर ऊर्जा से चलने वाले प्रज्ञान को उतरने के स्थान से 500 मीटर की दूरी तक चंद्रमा की सतह पर चलने के लिए बनाया गया था।
इसरो के मुताबिक लैंडर में सतह और उपसतह पर प्रयोग करने के लिए तीन उपकरण लगे थे जबकि चंद्रमा की सहत को समझने के लिए रोवर में दो उपकरण लगे थे।