इस बीच इसरो के स्पेस एप्लीकेशन सेंटर अहमदाबाद के पूर्व निदेशक और IIT खड़गपुर के एडजंक्ट प्रोफेसर तपन मिश्रा ने एक मीडिया हाउस का बताया कि मिशन के बिगड़ने के 3 बड़े कारण क्या हो सकते हैं।
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1. थ्रस्टर्स स्टार्ट होने में परेशानी
दरअसल, लैंडिंग से पहले विक्रम लैंडर चांद की सतह से 30 किलोमीटर की ऊंचाई पर चक्कर लगा रहा था। उस समय लैंडर की गति 1.66 किलोमीटर प्रति सेकंड की थी।
चांद पर उतरते समय विक्रंम लैंडर को बिल्कुल सीधा रहना था। उसकी गति भी 2 मीटर प्रति सेकंड की जानी थी। विक्रम की लैंडिंग में मदद करने के लिए 5 बड़े थ्रस्टर्स फिट किए गए हैं।
माना जा रहा है कि चांद की सतह से 400 मीटर की दूरी पर लैंडिंग के दौरान सभी थ्रस्टर्स में ईंधन न पहुंच पाया हो, जिसकी वजह से लैंडर स्टार्ट न हो पाएं हो हों।
जिसकी वजह से लैंडर स्पीड के साथ घूमने की वजह से उसने कंट्रोल खो दिया हो।
2. चांद की गुरुत्वाकर्षण शक्ति इसका एक बड़ा कारण चांद का गुरुत्वाकर्षण भी हो सकता है। वैज्ञानिकों की मानें तो चांद की सतह से महज 100 मीटर ऊपर विक्रम लैंडर हेलीकॉप्टर घूमता है।
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