सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक जब तक चीन के साथ सीमा गतिरोध ( Faceoff ) को लेकर संतोषजनक समाधान सामने नहीं आता तब तक उच्च स्तरीय सतर्कता ( High Level Alert ) बरती जाएगी।
भारत-चीन के बीच तनाव को देखते हुए थलसेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे ( Army Chief MM Naravane ) पहले ही एलएसी के साथ सीमावर्ती संरचनाओं के संचालन की निगरानी कर रहे सेना के सभी वरिष्ठ कमांडरों ( Top Commanders ) को निर्देश दे चुके हैं कि वे बेहद उच्च स्तर की सतर्कता बरतेंं। साथ ही चीन के किसी भी दुस्साहस से निपटने के लिए हमलावर रुख का परिचय दें।
CAG Rajiv Mehrishi : एक बटन दबाने मात्र से पूरी दुनिया को डिफेंस ऑडिट रिपोर्ट नहीं दे सकते दोनों देशों के बीच सीमा पर गतिरोध को देखते हुए पिछले तीन सप्ताह में सेना प्रमुख ने 3,500 किलोमीटर लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा की देखदेख करने वाले वरिष्ठ कमांडरों के साथ लंबी एवं विस्तृत चर्चाएं की हैं।
सेना की ओर से यह आदेश चीन की पीपुल्स लिब्रेशन आर्मी (Chinese PLA ) द्वारा पैंगोंस त्सो, डेप्सांग, और गोगरा समेत पूर्वी लद्दाख के कई गतिरोध वाले बिंदुओं से पूरी तरह अपने सैनिक हटाने में आनाकानी करने के मद्देनजर दिया गया है।
जानकारी के मुताबिक भारत ने चीन को पहले ही सूचित किया है कि गतिरोध खत्म करने के लिए पूर्वी लद्दाख के सभी क्षेत्रों में 5 मई से पहले की स्थिति बहाल करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है।
European think tank : लद्दाख में भारत ने अकेले दिखाया दम, इस रुख से ड्रैगन हैरान सेना प्रमुख एमएम नरवणे ने तीन दिन पहले तेजपुर स्थित चौथी कोर के मुख्यालय में पूर्वी कमान के वरिष्ठ कमांडरों के साथ व्यापक विचार-विमर्श किया था।
दूसरी तरफ वायुसेना के उप प्रमुख एयर मार्शल एचएस अरोड़ा ने 7 अगस्त को लद्दाख में वायुसेना ( IAF ) के कई अड्डों का दौरा किया और सेना की परिचालन तैयारियों का जायजा लिया। गलवान घाटी ( Galwan Valley ) में हुई झड़प के बाद वायुसेना ने अग्रिम पंक्ति के अपने लगभग सभी लड़ाकू जहाजों को पूर्वी लद्दाख एवं एलएसी सीमा क्षेत्रों में तैनात किया है।