बीएमसी ने हाल ही में एक सीरो सर्वे कराया है। इस सर्वे में जो रिपोर्ट आई है, उसके मुताबिक मुंबई के करीब 51 प्रतिशत बच्चों में एंटीबॉडी पाई गई है। हालांकि, बच्चों में एंटीबॉडी कैसे विकसित हुई, इसकी जानकारी अभी नहीं मिल सकी है। मगर बीएमसी का अनुमान है कि इन बच्चों में एंटीबॉडी या तो कोरोना काल में विकसित हुई है या फिर यह प्राकृतिक है।
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बीएमसी की ओर से दी गई जानकारी के अनुसार, गत एक अप्रैल से 15 जून के बीच मुंबई के 24 वार्डों से करीब दो हजार 176 बच्चों के नमूने लिए गए थे। प्रत्येक वार्ड से करीब 100 बच्चों का नमूना लिया गया था। इन नमूनों की जांच मुंबई के दो बड़े अस्पतालों (नायर अस्पताल और कस्तूरबा अस्पताल) में कराई गई। जांच में जो जानकारी सामने आई उसके अनुसार, मुंबई के करीब 51 प्रतिशत बच्चों में एंटीबॉडी विकसित हो चुकी है। यह आंकड़ा सभी के लिए राहतभरा है। जिन बच्चों में एंटीबॉडी विकसित हुई है, उनको लेकर बीएमसी का मानना है कि तीसरी लहर में उन्हें कोरोना का खतरा कम होगा।
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यही नहीं, बीएमसी की ओर से जो नमूने लिए गए उसमें दस से 14 वर्ष की उम्र के करीब 53.43 प्रतिशत बच्चों में एंटीबॉडी मिली। वहीं, एक से चार साल की उम्र के बच्चों में करीब पचास प्रतिशत और पांच से नौ साल के बच्चों में 43.33 प्रतिशत और 15 से 18 साल के किशोरों में करीब 51 प्रतिशत में एंटीबॉडी मिली।