बिना इंजेक्शन वाली COVID-19 Vaccine का ट्रायल, भारत बायोटेक-वाशिंगटन यूनिवर्सिटी में करार
इंट्रानैजल कोरोना वैक्सीन के लिए भारत बायोटेक और वाशिंगटन यूनिवर्सिटी में समझौता।
यह इंजेक्शन के जरिये नहीं बल्कि नाक में सीधे दी जाएगी और वायरस से बचाएगी।
जरूरी विनियामक स्वीकृति मिलने के बाद भारत बायोटेक देश में चालू करेगी ट्रायल।
Bharat Biotech ties up with Washington University for intranasal Covid-19 vaccine
हैदराबाद। यों तो दुनियाभर में कोरोना वायरस वैक्सीन विकसित करने को लेकर तमाम देशों में कोशिशें जारी हैं, लेकिन यह सभी वैक्सीन इंजेक्शन के जरिये दी जाने वाली हैं। हालांकि अब एक ऐसी वैक्सीन पर काम शुरू हो चुका है जिसे इंजेक्शन के जरिये नहीं बल्कि नाक में सीधे दिया जा सकेगा और यह पूरा काम करेगी। इस अलग तरह की कोरोना वायरस वैक्सीन के लिए देश की प्रमुख वैक्सीन निर्माता भारत बायोटेक ( coronavirus vaccine by Bharat Biotech ) ने वाशिंगटन यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन के साथ समझौता किया है।
कोरोना वैक्सीन की ओर बड़ा कदम, देश में शुरू हुआ इंसानों पर तीसरे चरण का क्लीनिकल ट्रायल भारत बायोटेक ने ‘नोवल चिंप एडेनोवायरस, सिंगल डोज इंट्रानैजल’ वैक्सीन के लिए बुधवार को सेंट लुइस में वाशिंगटन यूनिवर्सिटी के साथ लाइसेंसिंग समझौता किए जाने का ऐलान किया। हैदराबाद स्थित भारत बायोटेक कंपनी के पास अमरीका, जापान और यूरोप को छोड़कर अन्य सभी बाजारों में वैक्सीन के वितरण का अधिकार है।
इस समझौते के तहत वैक्सीन के परीक्षण के पहले फेज का ट्रायल सेंट लुइस यूनिवर्सिटी की ‘वैक्सीन एंड ट्रीटमेंट इवैल्यूएशन यूनिट’ में किया जाएगा। जबकि जरूरी विनियामक स्वीकृति प्राप्त करने के बाद भारत बायोटेक, देश में क्लीनिकल ट्रायल के आगे के चरणों को बढ़ाएगा। इसके बाद हैदराबाद के जीनोम वैली स्थित जीएमपी सुविधा में वैक्सीन का बड़े पैमाने पर निर्माण का कार्य करेगा।
भारत बायोटेक के मुताबिक चूहों पर अध्ययन में इस इंट्रानैजल वैक्सीन ने सुरक्षा के अभूतपूर्व स्तर को दिखाया है। टेक्नोलॉजी और डाटा को हाल ही में मशहूर वैज्ञानिक जर्नल ‘सेल’ और ‘नेचर’ के एक संपादकीय में प्रकाशित भी किया जा चुका है।
इस संबंध में भारत बायोटेक फार्मास्यूटिकल के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक कृष्णा एला ने बताया, “हमें इस इन्नोवेटिव वैक्सीन को लेकर सहयोग किए जाने पर गर्व है। हमें इस बात की पूरी उम्मीद है कि हम इस वैक्सीन को 1 अरब डोज तक पहुंचा देंगे। जहां एक इंट्रानैजल वैक्सीन न केवल किसी को देने में बेहद आसान है, बल्कि सुई-सीरिंज आदि जैसे चिकित्सा उपभोग्य सामग्रियों के इस्तेमाल को कम करने के लिए भी सरल होगी।”
वहीं, सेंट लुइस स्थित वाशिंगटन यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन में बायोलॉजिकल थेरेप्युटिक्स सेंटर के निदेशक डॉ. डेविड टी क्यूरिएल और रेडिएशन ऑन्कोलॉजी के प्रोफेसर ने एक बयान में कहा, “नाक में एक खुराक के जरिये प्रभावी टीकाकरण पूरा करने की क्षमता एक प्रमुख फायदा है, यह व्यापक पहुंच और टीका देने की आसान पेशकश करता है। एक प्रभावी नाक की खुराक न केवल COVID-19 से बचाती है, बल्कि यह एक अन्य प्रकार की प्रतिरक्षा की पेशकश करके रोग के प्रसार को भी रोकती है जो मुख्य रूप से उन कोशिकाओं में होती है जो नाक और गले में होती हैं। वर्तमान में विकसित की जा रही अधिकांश अन्य वैक्सीन ऐसा नहीं कर सकती हैं।”