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भारत का चीन को बड़ा झटका, HSTDV के सफल परीक्षण से Hypersonic Missile Club में एंट्री

भारत ने सोमवार को हाइपरसोनिक मिसाइल तकनीक का सफलतापूर्वक परीक्षण किया।
अमरीका, रूस और चीन के बाद भारत ऐसा करने वाला ( Hypersonic Missile Club ) चौथा राष्ट्र बन गया है।
DRDO ने की ओडिशा के तट से मानव रहित स्क्रैमजेट हाइपरसोनिक स्पीड फ्लाइट की टेस्टिंग।

Bad news for China, India enters in elite hypersonic missile club after testing HSTDV successfully

Bad news for China, India enters in elite hypersonic missile club after testing HSTDV successfully

नई दिल्ली। चीन के लिए एक बुरी खबर है कि भारत ने सोमवार को सफलतापूर्वक हाइपरसोनिक मिसाइल तकनीक का परीक्षण कर लिया है। आवाज की गति से हवा में छह गुना तेज रफ्तार से दूरी तय करने में सक्षम इस मिसाइल टेक्नोलॉजी के सफल परीक्षण के बाद अब भारत एलीट हाइपरसोनिक मिसाइल क्लब ( Hypersonic Missile Club ) में शामिल हो गया है। इसका मतलब है कि अब अमरीका, रूस और चीन के बाद भारत ऐसा करने वाला चौथा राष्ट्र बन गया है। यानी एक ऐसा देश जो खुद की हाइपरसोनिक तकनीक विकसित करने के बाद सफलतापूर्वक इसका परीक्षण भी कर चुका है।
ओडिशा तट के पास रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन ( DRDO ) ने सोमवार को डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम कॉम्प्लेक्स से मानव रहित स्क्रैमजेट हाइपरसोनिक स्पीड फ्लाइट का सफल परीक्षण किया। यह टेस्टिंग हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइल सिस्टम के डेवलपमेंट को आगे बढ़ाने के लिए एक बड़ा कदम है।
इस उपलब्धि को हासिल करने के लिए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने डीआरडीओ की सराहना की है। इस संबंध में रक्षा मंत्री राजनाथ ने ट्वीट कर कहा, “डीआरडीओ ने सोमवार को स्वदेशी रूप से विकसित स्क्रैमजेट प्रपल्शन सिस्टम का इस्तेमाल कर हाइपरसोनिक टेक्नोलॉजी डिमॉन्स्ट्रेटर व्हीकल का परीक्षण सफलतापूर्वक कर लिया है। इस सफलता के साथ ही अब सभी महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकियां अगले चरण की प्रगति के लिए स्थापित हो गई हैं।”
उन्होंने आगे लिखा, “मैं इस महान उपलब्धि के लिए डीआरडीओ को बधाई देता हूं। यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत के सपने को साकार करने की दिशा में बड़ा कदम है। मैंने इस परियोजना से जुड़े वैज्ञानिकों से बात कर उन्हें महान उपलब्धि के लिए बधाई दी है। भारत को उन पर गर्व है।”
बता दें कि कई ट्रैकिंग राडार, इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल द्वारा स्क्रैमजेट इंजन समेत इस लॉन्च और क्रूज वाहन के मापदंडों की निगरानी की गई थी। इस स्क्रैमजेट इंजन ने उच्च गतिशील दबाव और काफी अधिक तापमान पर काम किया। इतना ही नहीं, हाइपरसोनिक व्हीकल के क्रूज चरण के दौरान इसके प्रदर्शन की अच्छे ढंग से निगरानी करने के लिए बंगाल की खाड़ी में एक जहाज को भी तैनात किया गया था।
इस मिसाइल सिस्टम के सभी प्रदर्शन मापदंडों ने मिशन की शानदार सफलता की ओर ईशारा किया है। इस सफल परीक्षण के बाद डीआरडीओ ने कहा कि यह टेस्टिंग अधिक महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकियों, सामग्रियों और हाइपरसोनिक वाहनों के विकास का मार्ग प्रशस्त करेगा। यह भारत को उन चुनिंदा देशों की श्रेणी में रखता है, जिन्होंने इस तकनीक का प्रदर्शन किया है।
https://twitter.com/DRDO_India?ref_src=twsrc%5Etfw

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