आर्मी चीफ का चौंकाने वाला खुलासा, सोशल मीडिया इस्तेमाल में अमरीका-ब्रिटेन से भी आगे ISIS
भारतीय सेना के एक सम्मेलन के दौरान जनरल नरवणे का बयान।
नरवणे ने भविष्य के युद्ध की तकनीक और तैयारी पर दी जानकारी।
भारत भविष्य के लिए ब्लॉकचेन और लेजर विकसित कर रहा है।
सेना प्रमुख नरवणे बोले- जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाया जाना ऐतिहासिक कदम
नई दिल्ली। आतंकवाद को लेकर भारतीय सेना के प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे ने बुधवार को चौंकाने वाला खुलासा किया है। आर्मी चीफ ने बताया कि सोशल मीडिया के इस्तेमाल में दुनिया का कुख्यात आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट (ISIS) अमरीका और ब्रिटेन की सेनाओं से भी ज्यादा अत्याधुनिक है।
Big News: कोरोनावायरस को लेकर केंद्र सरकार ने तीनों सेनाओं को किया अलर्ट, कहा- कर लें पूरी तैयारी दरअसल भारतीय सेना ने बुधवार को ‘मैदानी युद्ध के बदलते स्वरूप और सेना पर इसके प्रभाव’ विषय पर एक सेमिनार का आयोजन किया। इस दौरान जनरल नरवणे ने कहा, “ISIS ईराक और सीरिया में 17 वीं शताब्दी में बना संगठन है। यह सोशल मीडिया इस्तेमाल करने में अमरीका और ब्रिटेन की 21वीं सदी की सेना से भी काफी एडवांस है।”
चीन की सेना के बारे में चर्चा करते हुए उन्होंने कहा, “पिछले कुछ दशकों से चीन की थल सेना ने कोई लड़ाई नहीं लड़ी है, फिर भी नियमित रूप से अपनी सेना के प्रदर्शन से संभवता इसने ऐसा तेज दिखाया है कि चीन प्रमुख तकनीकी क्षेत्र में वह निर्विवाद रूप से श्रेष्ठ है।”
उन्होंने कहा, “बालाकोट एयरस्ट्राइक ने यह प्रदर्शित किया है कि अगर आप कौशल के साथ साहसी खेल खेलते हैं, तो सैन्य कार्रवाई ऐसे स्तरों में स्थापित हो जाती है जो युद्ध की ही ओर ले जाएं, जरूरी नहीं।”
आर्मी चीफ ने कहा कि भारतीय सेना भविष्य में ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल के साथ ही लेजर की तरह डायरेक्ट एनर्जी वाले हथियारों के इस्तेमाल पर विचार कर रही है। उन्होंने कहा, “हम भविष्य में ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी और लेजर की तरह डायरेक्ट एनर्जी वाले हथियारों के इस्तेमाल पर विचार कर रहे हैं। हम डायनेमिक रिस्पॉन्स (गतिशील प्रतिक्रिया) पर भी ध्यान केंद्रित कर रहे हैं और हम पश्चिमी और उत्तरी दोनों ही सीमाओं पर अपनी क्षमताओं को बेहतर कर रहे हैं। हम काइनेटिक और नॉन-काइनेटिक दोनों तरीकें विकसित कर रहे हैं।”
उन्होंने कहा, “तेजी से विकसित हो रही दोहरे इस्तेमाल वाली तकनीक के आने से नए अवसर सामने आए और इसने युद्द के स्वरूप को बदल दिया। सेना के रूप में हमें हमारी सोच को अत्यधिक फुर्तीला और आगे बढ़ने के लिए या फिर बराबर रहने तक के लिए परिवर्तन की रफ्तार को अपने कार्यों में दिखाना होगा।”