22 साल में एक भी चुनाव नहीं हारा का यह दिग्गज नेता, अचानक हुई मौत से पार्टी को बड़ा झटका
नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी ने सोमवार को अपने एक दिग्गज नेता को खो दिया। हम बात कर रहे हैं केन्द्रीय मंत्री अनंत कुमार की, जो काफी समय से कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी से जूझ रहे थे। उनकी मौत से भाजपा को गहरा झटका लगा और पार्टी में शोक की लहर है। अनंत कुमार की दक्षिण भारत में अच्छी खासी पकड़ थी, खासकर कर्नाटक में। आपको जानकर हैरानी होगी कि अनंत कुमार 22 साल से एक भी चुनाव नहीं हारे।
22 साल से जीत रहे थे चुनाव अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् के एक दक्ष राजनेता बनने के बाद वह 1987 में भाजपा में शामिल हुए थे। साल 1996 में अनंत कुमार पहली बार दक्षिण बंगलूरू की लोकसभा सीट से चुनाव लड़े थे। उन्होंने कांग्रेस के वीजी राव को हराया था। इसके बाद से वो लगातार चुनाव जीतते गए और छह बार सांसद बने। गौरतलब है कि अनंत कुमार का जन्म बेंगलुरू के मध्यम वर्गीय ब्राह्मण परिवार में हुआ था।
अटल सरकार में रह चुके हैं मंत्री अनंत कुमार की गिनती भाजपा के कद्दावर नेताओं में होती है। 1998 में मध्यावधि चुनाव के बाद अनंत कुमार को अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में मंत्री बनाया गया। उस समय वह केंद्र में मंत्री पद संभालने वाले युवा नेता थे। उन्हें नागरिक उड्डयन मंत्रालय सौंपा गया था। उनके बाद 1999 के चुनाव के बाद जेडीयू के नेता शरद यादव को इस मंत्रालय की जिम्मेदारी दी गई थी। कर्नाटक में भाजपा की जीत के वह मुख्य सूत्रधार थे।
जीएसटी बिल पास करवाने में अहम भूमिका जीएसटी बिल भाजपा और विपक्ष के बीच विवाद का मामला बन गया था। इस विधेयक को पास करवाने के लिए भाजपा के पास राज्यसभा में पूर्ण बहुमत नहीं था। संसदीय मंत्री होने के नाते अनंत कुमार ने पार्टी को विधेयक पास करवाने के लिए पर्याप्त संख्या का इंतजाम किया। इसके अलावा पार्टी के लिए कई ऐसे मौके आए, जब अनंत कुमार बेहद खास साबित हुए। उनकी इस क्षति की भरपाई पार्टी के लिए नामुमकीन है। बहरहाल, लोकसभा चुनाव से पहले उनका चले जाना पार्टी के लिए काफी क्षति है।