विविध भारत

अमृतसर रेल हादसाः …तो ट्रेन के अंदर बैठे यात्रियों की जान भी चली जाती

रावण दहन के दौरान हुए अमृतसर रेल हादसे में लगातार नए खुलासे हो रहे हैं, ट्रेन के अंदर बैठे यात्रियों की जान पर भी मंडरा रहा था जान का खतरा।

Oct 20, 2018 / 11:19 am

धीरज शर्मा

अमृतसर रेल हादसाः …तो ट्रेन के अंदर बैठे यात्रियों की जान पर भी चली जाती

नई दिल्ली। पंजाब के अमृतसर में दशहरे के दिन हुआ दर्दनाक हादसा अपने पीछे कई सवाल छोड़ गया है। 61 लोगों की जान ले चुके इस भीषण हादसे का जिम्मेदार कौन है ये सबसे बड़ा सवाल बन चुका है। क्योंकि रेलवे से लेकर प्रशासन तक हर जिम्मेदार इसे दूसरे की गलती बता रहा है। रेलवे की बात करें तो ट्रेन के ड्राइवर और गेटमैन की बड़ी लापरवाही इस हादसे के दौरान सामने आई है। यही नहीं हादसे के बाद ट्रेन क्यों नहीं रुकी और कहां जाकर रुकी इसके पीछे भी बड़ी वजह है।
 

https://twitter.com/hashtag/AmritsarTrainAccident?src=hash&ref_src=twsrc%5Etfw
गेटमैन और स्टेशनमास्टर क्या कर रहे थे?
पंजाब के स्थानीय लोगों और रेलवे विशेषज्ञ का कहना है कि जिस रेलवे क्रासिंग के पास यह हादसा हुआ है वहां दशहरे का मेला 6 साल पहले से लग रहा है इस बात की जानकारी रेलवे के स्थानीय प्रशासन, स्टेशन मास्टर, गेटमैन और वहां से गुजरने वाली ट्रेन ड्राइवरों को जरूर होगी। बावजूद इतना भयानक हादसे में बड़ी संख्या में लोगों की जान चली गई । जानकारों की माने तो गेटमैन को इस बात की जानकारी थी कि दशहरे मेले में आए लोग ट्रैक पर खड़े होकर वीडियो बना रहे हैं इसके बाद भी उसने मैग्नेटो फोन ( हॉट लाइन) से स्टेशन मास्टर को इसकी जानकारी नहीं दी थी, जिससे वहां से गुजरने वाली ट्रेनों को कम रफ्तार पर नहीं चलाया गया। यदि स्टेशन मास्टर ट्रेन चालकों को ट्रेन धीरे चलाने की चेतावनी देता तो शायद हादसा टल सकता था ।
ट्रेन ड्राइवर फॉलो नहीं किया एक भी रूल
अमृतसर हावड़ा एक्सप्रेस और जालंधर अमृतसर लोकल ट्रेन के ड्राइवरों की भी उतनी ही गलती है जितनी गेटमैन और स्टेशन मास्टर की। दरअसल किसी भी ड्राइवर को यात्री ट्रेनें 8 से 10 साल के अनुभव के बाद ही चलाने को दी जाती हैं। यानी इन ड्राइवरों को पता था कि इस स्थान पर हर साल दशहरे के मेले में खासी भीड़ जुटती है फिर भी दोनों ट्रेनें अपने फुल रफ्तार से वहां से गुजरी। आपको बता दें कि ट्रेन ऑपरेशन मैन्युअल, जनरल रूल और एक्सीडेंट मैन्युअल यह साफ कहता है रेलवे ट्रैक पर किसी तरह की बाधा, इंसान, जानवर आदि नजर आते हैं तो ड्राइवर को न सिर्फ गाड़ी धीरे कर देनी चाहिए । बल्कि रोक देनी चाहिए और इसकी सूचना तुरंत पास के स्टेशन मैनेजर को देनी चाहिए। लेकिन दोनों ड्राइवरों ने इन नियमों का पालन नहीं किया।
ट्रेन में बैठे यात्रियों की जान भी थी खतरे में
रावण दहन के दौरान काल बनकर आई तेज रफ्तार ट्रेन अपने साथ 60 से ज्यादा जिंदगियां ले गई। हादसे के वक्त ट्रेन की न तो रफ्तार कम हुई और ना ही ट्रेन रुकी। दरअसल ड्राइवर की माने तो ट्रेन को हादसे के वक्त वहां रोकना काफी जोखिम वाला काम था। क्योंकि हादसे के तुरंत बाद ट्रेन पर पथराव शुरू हो गया था ऐसे में ट्रेन के अंदर बैठे यात्रियों की जान का भी खतरा बना हुआ था। यही वजह थी कि ट्रेन को घटना स्थल पर नहीं रोका गया।

Hindi News / Miscellenous India / अमृतसर रेल हादसाः …तो ट्रेन के अंदर बैठे यात्रियों की जान भी चली जाती

Copyright © 2025 Patrika Group. All Rights Reserved.