हिमंत बिस्वा ने मंगलवार को केंद्र सरकार से भारत में एमनेस्टी इंटरनेशनल की गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाने की मांग की। अंतराष्ट्रीय संस्था एमनेस्टी इंटरनेशनल की निंदा करते हुए सरमा ने कहा कि यह संस्था दुनिया भर में विभिन्न वामपंथी संगठनों को उनकी साजिशों के तहत मदद कर रहा है।
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भारत में एमनेस्टी इंटरनेशनल की गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाने की मांग करते हुए, सीएम ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि वे भारतीय लोकतंत्र को बदनाम करने की कोशिश कर रहे हैं और इसीलिए संसद के मानसून सत्र की शुरूआत से ठीक पहले इस मुद्दे को उठाया गया है।
भारत को बदनाम करने के लिए रची गई साजिश: सरमा
गृह विभाग का भी प्रभार संभालने वाले सरमा ने कहा, यह स्पष्ट है कि एमनेस्टी इंटरनेशनल भारत के लोकतांत्रिक ताने-बाने को नुकसान पहुंचाने के लिए किसी भी हद तक जा सकता है। मैंने उन्हें भारत के खिलाफ किसी भी तरह की हानिकारक गतिविधियों और किसी भी तरह की गड़बड़ी से बचने की चेतावनी दी है।
उन्होंने दावा किया कि जब भी भारत ने कोई मुकाम हासिल किया और इस बार देश ने कोविड-19 को सफलतापूर्वक नियंत्रित किया, उस समय ऐसी साजिशें शुरू हो जाती हैं। सरमा ने कहा, एमनेस्टी इंटरनेशनल भारत, भारतीय संसद को बदनाम करने के लिए ओवरटाइम काम कर रहा है। वे लोगों में असंतोष पैदा करने के लिए जानबूझकर प्रयास कर रहे हैं।
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उन्होंने कहा कि टेलीफोन टैपिंग में एक विशिष्ट प्रणाली और प्रक्रिया है लेकिन भारत सरकार ने स्पष्ट रूप से और समान रूप से इनकार किया कि भारत में ऐसा कुछ हुआ या किया गया। मुख्यमंत्री ने इस घटनाक्रम को दुर्भावनापूर्ण डिजाइन और गहरी साजिश करार देते हुए कहा, कांग्रेस नेता राहुल गांधी सहित कोई भी उनके टेलीफोन हैंडसेट या फोरेंसिक जांच के लिए आगे नहीं आया, ताकि अधिकारियों को सटीक घटना का पता लगाने में मदद मिल सके।
हिमंत बिस्वा ने की कांग्रेस की ओलाचना
हिमंत बिस्वा सरमा ने पैगासस के मुद्दे पर संसद में हंगामा करने के लिए कांग्रेस की आलोचना की। उन्होंने कहा, 2013 में आरटीआई के जवाब में तत्कालीन कांग्रेस नेतृत्व वाली यूपीए सरकार ने कहा था कि वह 5,000 फोन और 500 ईमेल खातों पर निगरानी कर रही है।
त्रिपुरा के मुख्यमंत्री बिप्लब कुमार देब ने मंगलवार को दिल्ली में कहा कि पैगासस का मुद्दा लोगों को गुमराह करने के लिए उठाया गया है। बिप्लब देब ने कहा कि फोन टैपिंग की खबरें संसद के मानसून सत्र से ठीक पहले आईं। वे (विपक्ष) सत्र को सुचारू रूप से नहीं चलने दे रहे हैं। कोविड की स्थिति पर चर्चा करने के बजाय, वे (विपक्ष) स्थगन नोटिस पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं।