इस बीच भारत में कोरोना वायरस के डेल्टा प्लस वेरिएंट के बढ़ते खतरे से निपटने के लिए दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) के निदेशक डॉ रणदीप गुलेरिया (Dr. Randeep Guleria) ने तीन अहम हथियार बताए हैं। इन हथियारों के जरिए इस वेरिएंट से जंग लड़ने में मजबूती मिलेगी।
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सितंबर में बच्चों के लिए कोविड वैक्सीन को मिल सकती है मंजूरी: AIIMS डायरेक्टर डॉ. गुलेरिया इन तीन हथियारों से लड़ना होगी डेल्टा प्लस वेरिएंट से जंगडॉ. गुलेरिया के मुताबिक कोरोना के डेल्टा प्लस वेरिएंट से जंग में लॉकडाउन, वैक्सीनेशन और कोविड प्रोटोकॉल जैसे तीन बड़े हथियार मददगार साबित हो सकते हैं।
सुरक्षा नियमों में समझौते की गुंजाइश नहीं
डॉ गुलेरिया ने कहा, फिलहाल ये कहना मुश्किल है कि डेल्टा प्लस वेरिएंट भारत में कोई समस्या पैदा कर रहा है, लेकिन जिस तरह दुनियाभर में ये वेरिएंट पैर पसार रहा है, उसे देखते हुए हम सुरक्षा नियमों से समझौता नहीं कर सकते हैं।
इन बातों पर रखना होगा फोकस
एम्स डायरेक्टर ने कहा, कोरोना वायरस को लेकर दर्ज किए गए उन सभी मामलों पर पैनी नजर रखने की जरूरत है, जहां इसमें किसी भी तरह की बढ़ोतरी देखी जाती है।
हमें अभी से तीसरी लहर से बचने के लिए उपाय करने और सतर्क रहने की जरूरत है। इसके साथ ही हमें उन सभी कोविड-19 प्रोटोकॉल का पालन करना होगा जो हम अभी तक करते आए हैं। हमें आक्रामक तरीके जांच और उसे ट्रैक करने की जरूरत है, ताकि अधिक-से अधिक लोगों को वैक्सीन लगाई जा सके।
डॉ. गुलेरिया ने कहा कि कुछ बातों का सख्ती से पालन किया जाए तो डेल्ट प्लस वेरिएंट के खतरे के साथ तीसरी लहर से भी बचा जा सकता है।
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एम्स डायरेक्टर डॉ. रणदीप गुलेरिया ने स्कूल खोले जाने पर जोर दिया है। उन्होंने कहा कि उन्होंने बताया कि कुछ अधिकारियों ने अभी से स्कूल खोलने पर विचार करने की जरूरत का मुद्दा उठाया है. मुझे निजी तौर से लगता है कि हमें स्कूल खोलने की आवश्यकता है।
खास तौर पर उन लोगों के लिए जो ऑनलाइन क्लास का हिस्सा नहीं बन सकते हैं उनके लिए शिक्षा बड़ी चुनौती बनती जा रही है। उन्होंने कहा, स्कूलों को खोलने के लिए एक रणनीति भी तय करने की जरूरत है। स्कूलों को अलग-अलग स्तर पर खोला जाना चाहिए।