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अयोध्या विवाद के ये चर्चित चेहरे, किसी ने चलवाई गोली तो किसी ने गिरवाया था विवादित ढांचा

सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले के साथ ही अयोध्या विवाद खत्म हो गया है। सुप्रीम कोर्ट ने राम जन्मभूमि न्यास को विवादित जमीन दे दी है।

Nov 09, 2019 / 03:37 pm

Kapil Tiwari

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नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या में विवादित जमीन का मालिकाना हक राम जन्मभूमि न्यास को दे दिया है और इसी के साथ अयोध्या में भगवान श्री राम का मंदिर बनने का रास्ता साफ हो गया है। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने सुन्नी वक्फ बोर्ड को भी 5 एकड़ जमीन देने का ऐलान किया है, जो उसे अयोध्या में या फिर अयोध्या के बाहर मिल सकती है। इस मामले में शिया वक्फ बोर्ड और निर्मोही अखाड़ा की याचिका को खारिज कर दिया गया है।

हिंदुस्तान के इस सबसे पुराने विवाद के ऐतिहासिक फैसले के आने में वैसे तो बहुत से लोगों का अहम योगदान रहा है, लेकिन कुछ चेहरे ऐसे हैं जिनकी भूमिका इस विवाद में हमेशा चर्चा का विषय रही।

ये हैं वो चेहरे-:

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1. हाशिम अंसारी

अयोध्या में बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद अगर किसी ने इस मुद्दे को कानूनी लड़ाई में तब्दील किया था तो वो दिवंगत हाशिम अंसारी थे। उन्होंने करीब 65 साल तक मंदिर-मस्जिद विवाद की इस लड़ाई को लड़ा था। वो इस मामले में सबसे पहले पक्षकार थे। हाशिम अंसारी अपने व्यक्तित्व के लिए बहुत चर्चित थे। वो अक्सर सुनवाई के लिए हिंदू पक्ष के पैरोकारों के साथ मिलकर तांगों में एकसाथ कोर्ट जाते थे। 96 साल की उम्र में उनका निधन साल 2016 को हुआ था।

 

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2. परमहंस रामचंद्र दास

श्रीराम जन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष रहे दिवंगत परमहंस रामचंद्र दास ने राम मंदिर आंदोलन में बहुत बड़ी भूमिका निभाई थी। वो दिगंबर अखाड़े के भी अध्यक्ष थे। रामचंद्र हंस ने विवादित स्थल का ताला खुलवाने के लिए आत्मदाह तक की धमकी दी थी, जिसका असर हुआ और ताला खोला गया। 31 जुलाई 2003 को उनका निधन हो गया था।

 

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3. लालकृष्ण आडवाणी

मौजूदा वक्त में भाजपा के सबसे वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी अयोध्या विवाद के सबसे चर्चित चेहरों में से एक रहे हैं। आडवाणी जी ने ही सोमनाथ से लेकर अयोध्या तक रथयात्रा शुरू की थी। इस रथयात्रा की दौरान वो कई बार गिरफ्तार भी हुए। आडवाणी जी को ही बाबरी मस्जिद गिराए जाने का ‘षड़यंत्रकारी’ कहा जाता है। इस बात का जिक्र सीबीआई की चार्जशीट में भी है। आडवाणी ने बाबरी विध्वंस के दिन कहा था कि आज कारसेवा का आखिरी दिन है। आडवाणी पर अभी भी इसका मुकदमा चल रहा है।

 

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4. अशोक सिंघल

राम मंदिर आंदोलन में कारसेवा की शुरुआत लालकृष्ण आडवाणी ने की थी, लेकिन इसके लिए भारी जनसमर्थन जुटाने का काम विश्व हिंदू परिषद के तत्कालीन अध्यक्ष अशोक सिंघल ने किया था। अशोक सिंघल को राम मंदिर आंदोलन के ‘चीफ आर्किटेक्ट’ के रूप में भी देखा जाता है। अशोक सिंघल ने 2011 में स्वास्थ्य कारणों की वजह से वीएचपी के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दिया था। 17 नवंबर 2015 को उनका निधन हो गया था।

 

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5. विनय कटियार

राम मंदिर आंदोलन के दौरान विनय कटियार ने ही ‘बजरंग दल’ का निर्माण किया था। वो बजरंग दल के सबसे पहले अध्यक्ष थे। कहा जाता है कि बाबरी विध्वंस के दिन विनय कटियार अयोध्या में ही थे और कहते हैं कि उन्होंने ही इस आंदोलन को आक्रमक बनाया था। बाद में वो भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव बने। इतना ही नहीं फैजाबाज सीट से वो तीन बार लोकसभा सांसद चुने जा चुके हैं।

 

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6. उमा भारती

राम मंदिर आंदोलन के दौरान उमा भारती सबसे बड़ी महिला फेस थीं। उमा भारती को भी बाबरी मस्जिद विध्वंस का ‘षड़यंत्रकारी’ कहा जाता है। लिब्रहान आयोग ने ऐसा माना है। उनपर भीड़ को उकसाने का आरोप लगाया था। बाबरी विध्वंस के दिन उमा भारती ने मुरली मनोहर जोश को गले लगाया था। वो मोदी और अटल सरकार में केंद्रीय मंत्री रह चुकी हैं।

 

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7. मुलायम सिंह यादव

उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव भी अयोध्या विवाद के सबसे विवादित चेहरों में से एक हैं। जब मुलायम सिंह यादव मुख्यमंत्री थे तो उनके आदेश पर ही कारसेवकों पर गोलियां चलवाई गई थीं, जिसमें आंकड़ों के मुताबिक, 16 कारसेवक मारे गए थे। कारसेवकों पर गोलियां चलवाने के आरोप में मुलायम को अभी भी हिंदू विरोधी माना जाता है।

 

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8. मुरली मनोहर जोशी

लालकृष्ण आडवाणी के बाद भाजपा में दूसरे नंबर के नेता रहे मुरली मनोहर जोशी भी राम मंदिर आंदोलन के सबसे चर्चित चेहरे थे। 6 दिसंबर 1992 को विवादित परिसर में मुरली मनोहर जोशी की मौजूदगी थी और मस्जिद गिराए जाने के बाद उमा भारतीं उनसे गले मिली थीं।

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