प्राणी उद्यान कानपुर के पशु चिकित्साधिकारी डा. मोहम्मद सगीर ने बताया कि बंदर के पकड़े जाने पर छानबीन में पता चला कि वह मांस खाने, शराब पीने का आदी था। उसे तांत्रिक ने पाला था। तांत्रिक उसे शराब देता था। तांत्रिक की मौत के बाद बंदर आजाद हुआ तो लोगों को जख्मी करने लगा। वह ज्यादातर बच्चियों और महिलाओं को काटता था।
मिर्जापुर शहर के कटरा कोतवाली क्षेत्र आज से तीन वर्ष पूर्व एक बंदर ने आतंक मचा रखा था। बंदर ने 30 से अधिक बच्चों को काटा था। सात वर्ष से कम उम्र की बालिकाओं के चेहरे को जख्मी कर भाग जाता था। अधिकांश बालिकाओं को प्लास्टिक सर्जरी करानी पड़ी। कानपुर से आई वन विभाग की टीम ने बंदर को बेहोशी का इंजेक्शन लगाकर पकड़ा था। और इसका नाम कलुआ रखा।
पशु चिकित्सा अधिकारी मोहम्मद सगीर ने बताया कि जब टीम मिर्जापुर में कलुआ बंदर को पकड़ने गई थी। तब उसके साथ एक बंदरिया भी थी। बंदरिया उसकी चौकीदारी करती थी। टीम जैसे उसे पकड़ने जाती वह शोर मचा कर कलुआ को चौकन्ना कर देती थी। पहले दिन बंदर ने टीम को खूब छकाया। दूसरे दिन दो इंजेक्शन लगने के बाद कलुआ बेहोश हुआ। फिर टीम उसे कानपुर चिड़ियाघर ले आई।
पशु चिकित्सा अधिकारी मोहम्मद सगीर ने बताया कि कलुआ बंदर पुरुषों के करीब आने पर वह गुस्साता था, पर महिलाओं को दूर से ही इशारे कर पास बुलाता। महिलाएं जब पिंजड़े के पास आ जाती तो उन्हें काटने के लिए दौड़ता। बंदर मांसाहारी व शराब पीता था। उसे शाकाहारी भोजन ही दिया गया पर तीन वर्ष में उसके अंदर बदलाव नहीं आया। उसके दांत बहुत धारदार है। दूसरे बंदर के साथ रखने पर ये उन्हें भी काट सकता है। इसलिए इसे छोड़ा नहीं जाएगा। पिंजरे में ही कैद रहेगा।
मोहम्मद सगीर ने बताया कि बंदर की हरकत में कोई नरमी या सुधार न देखने पर प्राणी उद्यान के डाक्टर और विशेषज्ञ ने उसे ताउम्र पिंजड़े में ही कैद रखने का फैसला लिया।