ये सारा मामला बागपत और सहारनपुर के उन छह युवकों से जुड़ा है, जो कश्मीर में सिलाई की एक फैक्टरी में काम के लिए गये थे। लेकिन वहां पहुंचते ही उनको बंधक बना लिया गया। इसके बाद उन्हें सेना के जवानों पर पत्थरबाजी करने को मजबूर किया गया। बडौत नगर के गुराना रोड पर रहने वाले मा. नसीम का कहना है कि फरवरी माह में वह बौलैनी थाना क्षेत्र के डोलचा गावं के शमीम, ढिकाना गांव के अंकित, सहारनपुर जनपद के नानौता गांव के मोहम्मद अजीव राव , नकुड निवासी बबलू और पंकज के साथ पुलवामा के लस्तीपुरा में गए थे। वहां उन्हें डिवाइस इडस्ट्रीरियल फर्म में सिलाई की नौकरी मिली थी। उसी फैक्टरी में कश्मीर के युवक भी काम करते थे। इसके बाद फैक्टरी मालिक ने उन पर दबाव बनाया कि कश्मीर में जब भी सेना के जवान किसी आतंकवादी का एनकांउटर करें तो उन पर पत्थरबाजी करनी है। सेना के जवान किसी आतंकवादी का एनकांउटर करते थे तो आतंकवादी गांव में घुस जाते थे और किसी भी मकान में छुपकर ग्रामीणों की मदद से सेना पर पत्थरबाजी कराते थे। इस दौरान उनसे भी पत्थरबाजी कराई जाती थी । ऐसा न करने पर उनके साथ मार-पिटाई होती थी।
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पीड़ित युवक नसीम ने बताया कि अपने जवानों के ऊपर पर पत्थरबाजी करने वाले लोगों को देखकर उनका खून खोलता था, लेकिन उसके साथ उसकी पत्नि और बच्चे भी थे, जिनको लेकर वह मजबूर थे। एक व्यक्ति को दस हजार रूपये देकर वह किसी तरह उनके चंगुल से निकल पाने में कामयाब रहे। यह जानकारी जैसे ही मीडिया के माध्यम से पुलिस तक पहुंची तो स्थानीय पुलिस नसीम को पुछताछ के लिए उठाकर ले गई। हालांकि, नसीम के बारे में जब एसपी बागपत से बात की गई तो उन्होंने नसीम की जानकारी होने से इंकार किया। उनका कहना था कि मामला तो उनकी जानकारी में आया है, लेकिन नसीम उनके पास नहीं है। वहीं, नसीम के परिजनों को कहना है कि नसीम को बड़ौत पुलिस ने पुछताछ के लिए बुलाया है। सुत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक नसीम बड़ौत पुलिस की हिरासत में है और उससे पुछताछ चल रही है।