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World Bicycle Day 2021: यूपी में अरबों की लागत से बने साइकिल ट्रैक का हाल बेहाल, कहीं अतिक्रमण तो कहीं बेची जा रही सब्जी 2012 में समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) की साइकिल ने प्रदेश में रफ्तार पकड़ी तो इसी के दम पर अखिलेश यादव सत्ता पर काबिज हुए और मुख्यमंत्री बने। चुनाव में साइकिल के महत्व को समझने के बाद मुख्यमंत्री बने अखिलेश ने प्रदेश के सभी जिलों में साइकिल ट्रैक बनवाने की कवायद शुरू की। इसके पीछे उद्देश्य था कि साइकिल ट्रैक पर साइकिल दौड़ेंगी और लोग अपनी सेहत के लिए साइकिल का उपयोग कर सकेंगे। मेरठ सहित उत्तर प्रदेश के सभी जिलों में ये साइकिल ट्रैक बनाए गए, जिन पर अरबों रुपए का खर्चा आया। मेरठ में मंगलपांडे नगर से सर्किट हाउस तक साइकिल ट्रैक बनाया गया। अखिलेश सरकार गई तो ये साइकिल ट्रैक भी धीरे-धीरे एमडीए के नक्शे से गायब होने लगा। 2017 में अखिलेश के सत्ता से जाते ही इन साइकिल ट्रैक के दुर्दिन शुरू हो गए। आज बदहाल हालत में पहुंच चुके इस साइकिल ट्रैक को देखकर लगता नहीं कि ये पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का ड्रीम प्रोजेक्ट रहा है।
मंगलपांडे नगर से सर्किट हाउस तक बना साइकिल ट्रैक बदहाल बता दें कि साइकिल ट्रैक पर एमडीए वीसी ने इंजीनियरों से कई बार रिपोर्ट तलब की, लेकिन कुछ नहीं हो सका। आज इस साइकिल ट्रैक पर अवैध कब्जे हो चुके हैं। मंगलपांडे नगर से सर्किट हाउस बने साइकिल ट्रैक बदहाली देखकर ही पता चलता है कि सरकारें जनता के रुपए को किस तरह से पानी की तरह बहाती हैं और फिर बेफिक्र हो जाती हैं। ट्रैक कहीं से भी साइकिल चलने लायक नहीं रह गया है। साइकिल ट्रैक पर करीब साढ़े तीन करोड़ रुपए खर्च हुए थे, लेकिन अब यह ट्रैक जगह-जगह ट्रैक धंस गया है। इसके किनारे लगे बोलार्ड भी टूट गए हैं। उस समय लगाए गए एक-एक बोलार्ड की कीमत 700 सौ से 900 सौ रुपए तक थी। साइकिल ट्रैक से स्ट्रीट लाइटें भी गायब हो चुकी हैं। ट्रैक के सहारे नाले की दीवार के सहारे स्ट्रीट लाइटें लगाई गई थीं। इसके लिए बड़े पोल भी खड़े किए गए थे। कई जगह तो यह पोल ही गायब हो गए हैं।
साइकिल ट्रैक के कंसेप्ट पर नए सिरे से हो विचार जनता के पैसे से बने इस साइकिल ट्रैक की इस दुर्दशा से जिम्मेदारों ने आंखें फेर रखी हैं। इस बारे में कई बार एमडीए से जिम्मेदार लोग शिकायत कर चुके हैं, लेकिन आज तक किसी ने इसे गंभीरता से नहीं लिया। साइक्लोफिट क्लब के राजीव चोपड़ा का कहना कि साइकिल चलाना ऐसी एक्सरसाइज है, जिसमें शरीर का वजन पैरों पर नहीं आता। साइक्लिंग के प्रति जागरुकता जरूरी है। साइकिल ट्रैक के कंसेप्ट पर भी नए सिरे से तकनीकी पहलुओं को देखते हुए विचार होना चाहिए। ये साइकिल ट्रैक भाजपा और सपा की आपसी खींचतान की राजनीति का शिकार हुआ है। ये हाल सिर्फ मेरठ के साइकिल ट्रैक का नहीं है, बल्कि प्रदेशभर में बने साइकिल ट्रैक का है।