80-90 के दशक में सामने आया था गैंगवार
पश्चिम में गैंगवार का असली रूप 1980 से 1990 के दशक में उस वक्त सामने आया था, जब महेंद्र फौजी और सत्यवीर गुर्जर जैसे दुर्दान्त अपराधी अपराध जगत के बेताज बादशाह हुए। उस समय पश्चिम यूपी के तमाम अपराधी इन्हीं दोनों गिरोहों से जुड़े थे। इनमें रविंद्र भूरा हो या राजवीर रमाला, शिवचरन, वेदवीर अथवा सुरेन्द्र दौरालिया। दोनों गिरोहों की रंजिश में 40 से ज्यादा लोग मारे गए और खुद फौजी और सत्यवीर भी। इसी दौर में एक और कुख्यात गिरोह चल रहा था। सुनील त्यागी का। इससे प्रोफेसर सत्यवीर, श्रीपाल, जनवीर राठी, टीपी सिंह और दर्जनों दूसरे बड़े अपराधी जुड़े थे। बाद में ये सभी गैंगवार में मारे गए। खुद सुनील त्यागी भी। प्रतिद्वंद्विता में 30 से भी ज्यादा लोग मारे गए। ये वो गिरोह थे, जिनकी पश्चिमी यूपी के साथ ही आसपास के राज्यों में भी तूती बोलती थी।
गैंगवार से थर्राता रहा मेरठ
बरनावा से विधायक रहे भोपाल सिंह और शिवचरन की रंजिश किसी से छिपी नहीं है। 1992 में शिवचरन को बेगमपुल के पंप पर भोपाल सिंह ने गोलियों से भून दिया था। चूंकि रविंद्र भूरा शिवचरन के करीब था, इसलिए बाद में उसने गैंग के साथ भोपाल सिंह को जिला अस्पताल में शिवचरन की हत्या के मामले में पुलिस कस्टडी में मार दिया था। उस दौरान गैंग के पास एके 47 राइफल आ चुकी थी। इसके बाद सुरेंद्र दौरालिया और रविंद्र भूरा की रंजिश सुर्खियों में रही। इन दोनों की आपसी रंजिश में 32 लोग मारे गए। बाद में बिजेंद्र प्रमुख-योगेश भदौड़ा, योगेंद्र लाला-टिब्बू पंडित, वतन दौरालिया-वीरपाल की रंजिशों ने सैकड़ों की जान ली।
मौजूदा दौर में योगेश भदौड़ा-उधम सिंह
वेस्ट के शातिरों की लड़ाई के बाद मौजूदा दौर में योगेश भदौड़ा और उधम सिंह के बीच गैंगवार किसी से छिपी नहीं है। कुछ दिनों के भीतर ही दोनों गैंग के करीब दो दर्जन से अधिक लोग मारे जा चुके हैं। नीटू की हत्या भी इसी कड़ी से जुड़ी हुई थी। पुलिस अधिकारी की खामोशी गैंग की हौसला अफजाई करती है।
बागपत, मेरठ, मुजफ्फरनगर और गाजियाबाद के दर्जनों गांव हुए बर्बाद
गैंगवार में वेस्ट यूपी के दर्जनों गांव तबाह हो गए। बागपत जिले का किरठल, ढिकौली, दाहा, सूप, मेरठ का करनावल, भदौड़ा, ढडरा, झिंझोखर, पहाड़पुर, दौराला, चिंदौड़ी, मछरी, कबट्टा, कलंजरी, मुजफ्फरनगर के बरवाला, पिन्ना, लूम्ब, कैल, सौंडा, बुलंदशहर का सैदपुर, गाजियाबाद का लोनी, दुजाना आदि गांव रंजिशों के चलते चर्चित रहे और यहां कई परिवारों के वंश तक खत्म हो गए। वर्तमान में अब तक पश्चिम उप्र में 502 गैंग रजिस्टर्ड हैं, लेकिन कुछ गैंग ऐसे हैं, जो लगातार सनसनीखेज अपराध कर रहे हैं। मेरठ जोन में सात अंतर्राज्यीय गैग रजिस्टर्ड हैं। वहीं, एक अंतर क्षेत्रीय गिरोह और 37 अंतर जिला गिरोह सक्रिय हैं। एडीजी प्रशांत कुमार कहते हैं कि पुराने बदमाशों की गैंगवार अब खत्म हो गई है। जो बचे हैं वे या तो जेल में हैं या फिर पुलिस की गोली का शिकार हो चुके हैं। बचे हुए गैंग को चिहिन्त किया गया है और उनको टार्गेट किया जा रहा है।