script90 के दशक की राजनीति में गुर्जर बिरादरी का था बड़ा वजूद,आज कम हुई चमक और हनक | vote of Gurjar community in West UP would decide victory or defeat in election | Patrika News
मेरठ

90 के दशक की राजनीति में गुर्जर बिरादरी का था बड़ा वजूद,आज कम हुई चमक और हनक

पश्चिम यूपी में नोएडा से लेकर सहारनपुर तक गुर्जर बेल्ट मानी जाती है। जितना प्रभाव इस इलाके में जाट समाज का है उतना ही गुर्जर बिरादरी का रहा है। लेकिन आज गुर्जर राजनीति हाशिए दिखाई दे रही है।

मेरठNov 26, 2022 / 11:40 am

Kamta Tripathi

90 के दशक की राजनीति में गुर्जर बिरादरी का था बड़ा वजूद,आज कम हुई चमक और हनक

90 के दशक की राजनीति में गुर्जर बिरादरी का था बड़ा वजूद,आज कम हुई चमक और हनक

गुर्जर समाज का पश्चिम यूपी की राजनीति में अहम योगदान रहा है। बाबू नारायण सिंह, बाबू हुकुम सिंह, रामचंद्र विकल, वेद राम भाटी, रामशरण दास और प्रभु दयाल जैसे गुर्जर नेताओं ने अपनी बिरादरी को एक मुकाम दिलाया।
इन गुर्जर नेताओं ने बिरादरी के वोटों की ताकत राजनीति दलों को दिखाई। जिससे 80—90 के दशक में बिना गुर्जर राजनीति को साथ जोड़े बिना सत्ता के पास पहुंचना मुश्किल था। गुर्जर के दिग्गज नेता किरोड़ी सिंह बैसला को भला कौन भूल सकता है। जिन्होंने दिल्ली तक सरकार हिला दी थी।

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गुर्जर राजनीति की चमक और हनक हुई कम

पश्चिम उप्र की राजनीति में गुर्जर राजनीति के बाबू हुकुम सिंह पिलर रहे हैं। कहने को आज भी गुर्जर समाज के जिम्मेदार लोग राजनीति के शिखर पर हैं। इनमें प्रदीप चौधरी, बसपा से मलूक नागर,भाजपा से डा0सोमेंद्र तोमर,लोनी विधायक नंदकिशोर गुर्जर, अवतार सिंह भड़ाना और तेजपाल नागर आदि हैं। लेकिन इसके बाद भी गुर्जर राजनीति की चमक और हनक कम हुई है। गुर्जर बिरादरी के नेता यशपाल पंवार का कहना है कि राजनीतिक दल अब गुर्जरों को अपने इशारों पर नचा रहे हैं।

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गंभीर मुददा है हम पहचान और जान रहे हैं

पश्चिम उप्र के गुर्जर परिवार विरेंद्र सिंह जसाला किसी परिचय का मोहताज नहीं है। यह गुर्जर परिवार राजनीति को प्रभावित करता रहा है। यशपाल पंवार का कहना है कि गुर्जर राजनीति का हाशिए पर आना और राजनीति में पिछड़ापन का कारण हमारी चुप्पी रही है। वर्तमान में दशा बदल रही है। गुर्जर राजनीति का हाशिए पर जाना गंभीर मुददा है। इसको हम पहचान और जान रहे हैं।

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आठ लोकसभा सीट और 32 विधानसभा सीटों पर प्रभाव

गुर्जर समाज का पश्चिम यूपी के आठ लोकसभा सीट मेरठ, गाजियाबाद, नोएडा, बागपत,सहारनपुर, कैराना और बिजनौर दबदबा है। इन सभी आठ जिलों की करीब 32 विधानसभा सीटों पर भी गुर्जर मतदाता किसी भी दल के हारजीत में बड़ी भागीदारी निभाता है। पूर्व विधायक रूप चौधरी का कहना है कि बिरादरी को लिए राजनीतिक दलों से ऊपर उठकर सोचना होगा। इसके बाद ही गुर्जर समाज को देश की राजनीति में नेतृत्व हासिल हो सकता है।

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