9 मार्च 2018 के अपने फैसले में कहा था कि अब कोई भी चिकित्सकों पर रौब गालिब कर नेता या अधिकारी अस्पतालों में विशेष सुविधा नहीं प्राप्त कर सकेगा। वे भी अन्य मरीजों की भांति लाइन में लगकर ही इलाज करा सकेंगे। कुल मिलाकर हाईकोर्ट ने सरकारी अस्पतालों में वीआइपी व्यवस्था को खत्म कर दिया है। अब वीआईपी हो या आम सभी को सरकारी अस्पताल में लाइन लगाकर ही पर्चा बनवाना पड़ेगा। इस संबंध में उच्च न्यायालय के फैसले का हवाला देते हुए उत्तर प्रदेश शासन की सचिव वी. हिकाली झिमोमी ने इस संबंध में 25 अक्टूबर 2018 को आदेश जारी कर दिया। आदेश संख्या 3387 में इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा जनहित याचिका 14588/2009 के फैसले का हवाला दिया गया है। इस बारे में मेरठ सीएमओ डॉ. राजकुमार ने कहा कि आदेश की कॉपी मिल गई है। इसका अनुपालन किया जाएगा।
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नहीं मिलेगी निजी चिकित्सालय में इलाज की सुविधा
इसी के साथ ही जारी निर्देश में कहा गया है कि अब सरकारी कर्मचारियों को सरकारी अस्पताल में ही इलाज कराना होगा। उन्हें प्राइवेट अस्पताल में इलाज के बाद बिलों के भुगतान की कोई सुविधा नहीं प्रदान की जाएगी। जारी निर्देश सभी मंडलायुक्त, जिलाधिकारी एवं सीएमओ को भेज दिया गया है। स्नेहलता सिंह बनाम राज्य की एक जनहित याचिका के आधार पर हाईकोर्ट के निर्णय पर ही सरकार ने ये निर्देश जारी किया है। कोर्ट ने कहा है कि सरकार से वेतन लेने वाला कोई भी कर्मचारी, अधिकारी, विधायक और मंत्री सरकारी अस्पतालों में अपना रुतबा नहीं दिखा सकेगा। इन लोगों को भी वे सभी औपचारिकताएं पूरी करनी होंगी, जो अन्य मरीजों और उनके परिजनों को करनी होती है।